जहाँ प्रेम सत्कार हो

युवा-शक्ति मिल कर करे, यदि कोई भी काम,
मिले सफलता हर कदम, निश्चित है परिणाम।

जिज्ञासा का उदय ही, ज्ञान प्राप्ति का स्रोत,
इसके बिन जो भी करे, ज्ञानार्जन न होत।

अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।

जिह्वा के आघात में, असि से अधिक प्रभाव,
रह-रह कर है टीसता, अंतर्मन का घाव।

जीवन-मरण अबूझ है, परम्परा चिरकाल,
पुनर्जन्म पुनिमृत्यु की, कहे कहानी काल।

जैसे दीमक ग्रंथ को, कुतर-कुतर खा जाय,
तैसे चिंता मनुज को, धीरे-धीरे खाय।

जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।

                                                                                            
                                                                                -महेन्द्र वर्मा



57 comments:

  1. सत्य और सटीक दोहे , जीवन के विभिन्न पक्षों पर दृष्टि . आभार .

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  2. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।
    .....हर पंक्ति सुंदर सिख देती है बहुत बढ़िया दोहे हैं सर...!!!

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  3. बहुत सुंदर........


    जिह्वा के आघात में, असि से अधिक प्रभाव,
    रह-रह कर है टीसता, अंतर्मन का घाव।

    सभी सार्थक एवं सटीक..........

    सादर.

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  4. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।


    बहुत सुंदर........

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  5. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।

    सत्य वचन !

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  6. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।

    सत्य वचन !

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  7. sab kuchh kah diyaa
    chand panktiyon mein .....

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  8. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।... behtareen kathya

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  9. बहुत सुन्दर वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  10. बहुत सुन्दर वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  11. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।
    आपने सही कहा...महेंद्र जी...
    बहुत सुंदर रचना...
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  12. महेंद्र जी ,...आपका फालोवर बन गया हूँ

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  13. दोहे जैसे लघु छंद में जीवन के सत्य का निरूपण -गागर में सागर !

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  14. इतने सहज ढंग से इतनी सुन्दर शिक्षा, आपके दोहे से ही मिल सकती है... हर दोहा अपने आप में अमृत-कण से कम नहीं!! हम कृतार्थ हुए!!

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  15. जिह्वा के आघात में, असि से अधिक प्रभाव,
    रह-रह कर है टीसता, अंतर्मन का घाव।

    सुंदर दोहे कहे हैं.

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  16. खूबसूरती से राह दिखाते सुन्दर दोहे...
    सादर.

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  17. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।
    बहुत सुन्दर वाह!

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  18. जैसे दीमक ग्रंथ को, कुतर-कुतर खा जाय,
    तैसे चिंता मनुज को, धीरे-धीरे खाय।
    सीख देते सावधान करते दोहे .सुन्दर मनोहर कल्याण कारी ,उपकारी .

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  19. सुन्दर सुन्दर पंक्तियाँ, भरते सुन्दर भाव ।
    पाठ सरस गाते चलो, सीख सरल अपनाव ।

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  20. जीवन-मरण अबूझ है, परम्परा चिरकाल,
    पुनर्जन्म पुनिमृत्यु की, कहे कहानी काल।

    जैसे दीमक ग्रंथ को, कुतर-कुतर खा जाय,
    तैसे चिंता मनुज को, धीरे-धीरे खाय।

    बेहतरीन दोहे

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  21. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।

    जिह्वा के आघात में, असि से अधिक प्रभाव,
    रह-रह कर है टीसता, अंतर्मन का घाव।

    सभी दोहे बहुत सार्थक

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  22. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।
    sahi hai ....sabhi dohe sarthak hai,..

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  23. सुंदर सन्देश ...घर-घर पहुचे !
    जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।
    शुभकामनाएँ!

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  24. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।bilkul sah nd satik bat.. jahan nhi neh wo kaisa geh>

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  25. जीवन-मरण अबूझ है, परम्परा चिरकाल,
    पुनर्जन्म पुनिमृत्यु की, कहे कहानी काल।

    भलमनसाहत के साथ मेरे मेल बॉक्स में ये दोहे डा
    दीजिये .आप खुद समझदार हैं .संकलन हेतु .

    क्या कहूँ सुन्दर नहीं अनुकरणीय

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  26. जीवन की सच्चाई को दर्शाते बहुत सुन्दर और सटीक दोहे...

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  27. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।
    सुंदर और सटीक रचना ..
    शानदार

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  28. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।


    जीवन की सच्चाई बतलाते दोहे !!!

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  29. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार।

    सभी दोहे सार्थक और सटीक!

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  30. इन दोहों में जीवन का मर्म है.. और अनुकरणीय संदेश..

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  31. आदरणीय महेन्द्र वर्मा जी
    नमस्कार !

    जहां प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार ।
    जहां द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार ॥



    सभी दोहे अच्छे हैं … बधाई और आभार !

    शुभकामनाओं सहित…
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  32. बेहतरीन, बेहतरीन और बेहतरीन।
    अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।
    लाजवाब! बहुत ही नीति की बातें बड़े सरल सुंदर शब्दों में। जवाब नहीं।

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  33. जिज्ञासा का उदय ही, ज्ञान प्राप्ति का स्रोत
    वर्मा जी के कविता, आनंद प्राप्ति का स्रोत....
    शानदार....

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  34. वाह,सभी दोहे सटीक-सार्थक व शिक्षाप्रद.

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  35. शिक्षाप्रद दोहे!

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  36. सच्चाई को दर्शाते सुन्दर और सटीक दोहे...

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  37. जिज्ञासा का उदय ही, ज्ञान प्राप्ति का स्रोत,
    इसके बिन जो भी करे, ज्ञानार्जन न होत...

    वाह .. सभी दोहे कुछ न कुछ नया कह रहे हैं .. सफलता की सीख देते हुवे ...

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  38. sunkar baatein neeti kee hata manuj man bhar.....accha jeewan chah ho padhe ye jeewan saar,,,dhanywad hai aapko jo diya ye shabd haar..ab man halka ho gaya rah na dil par bhar..sadar pranam aaur apne blog par aapke aagman kee abhilasha me

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  39. जहाँ प्रेम सत्कार हो, वही सही घर-द्वार,
    जहाँ द्वेष-अभिमान हो, वह कैसा परिवार। बहुत ही सही कहा आपने आभार

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  40. bahut sundar prastuti...sabhi dohe bahut achchhe hain..

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  41. sabhi dohe bahut arthpurn...

    जिह्वा के आघात में, असि से अधिक प्रभाव,
    रह-रह कर है टीसता, अंतर्मन का घाव।

    badhai.

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  42. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।
    मनुष्य को सीख देती रचना .

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  43. बहुत सुन्दर दोहे भाई महेंद्र जी

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  44. अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,
    बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।

    बहुत सुंदर.......

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  45. bilkul lajabab dohe bahut bahut abhar Verma ji .

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  46. दोहों में सीखें भरीं, और भरा आनंद,
    सागर तल की सीपियों में ज्यों मोती बंद।

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  47. बाऊ जी,
    नमस्ते!
    सार्थक और सटीक!!!
    आशीष
    --
    द नेम इज़ शंख, ढ़पोरशंख !!!

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  48. shubh uddeshya ke saath kareM tabhee saMgaThan kaa faayadaa hai

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  49. शुभ उद्देश्य के साथ करें तभी संगठन का फ़ायदा है

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  50. शुभ उद्देश्य के साथ करें तभी संगठन का फ़ायदा है

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  51. बहुत ही सुन्दर और शानदार दोहे..
    सुन्दर अभिव्यक्ति...

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