ख़ामोशी

तन्हाई में जिनको सुकून-सा मिलता है,
आईना भी उनको दुश्मन-सा लगता है।

दिल में उसके चाहे जो हो तुझको क्या,
होठों से तो तेरा नाम जपा करता है।

तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या उनमें अब सावन बसता है।

वो तो दीवाना है उसकी बातें छोड़ो,
अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।

ख़ामोशी भी कह देती है सारी बातें,
दिल की बातें कब कोई मुंह से कहता है।

                                                 
                                                  -महेन्द्र वर्मा

9 comments:

  1. bahut sundar v sarthak lekhan hetu badhai

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  2. तन्हाई में जिनको सुकून-सा मिलता है,
    आईना भी उनको दुश्मन-सा लगता है।

    वाह आदरणीय बहुत बढ़िया ग़ज़ल

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  3. बहुत..बहुत.. बहुत बढ़िया..

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  4. दिल में उसके चाहे जो हो तुझको क्या,
    होठों से तो तेरा नाम जपा करता है ..

    सच कहा है दिल किसने देखा है ... जो होठों ने कहा वो ही सच है ...

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  5. आपके मूड से बिल्कुल अलग सी एक ग़ज़ल.. लेकिन बहुत ख़ूबसूरत!!

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  6. वो तो दीवाना है उसकी बातें छोड़ो,
    अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।

    ख़ामोशी भी कह देती है सारी बातें,
    दिल की बातें कब कोई मुंह से कहता है।

    बहुत खूब....

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  7. बेहतरीन लिखते हैं आप।

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