शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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श्वासों का अनुप्रास
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सच को कारावास अभी भी, भ्रम पर सबकी आस अभी भी । पानी ही पानी दिखता पर, मृग आँखों में प्यास अभी भी । मन का मनका फे...
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यूँ ही
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यादों के कुछ ताने-बाने और अकेलापन, यूँ ही बीत रहीं दिन-रातें और अकेलापन। ख़ुद से ख़ुद की बातें शायद ख़त्म कभी न हों, कुछ कड़वी कुछ मीठी याद...
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शीत - सात छवियाँ
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धूप गरीबी झेलती, बढ़ा ताप का भाव, ठिठुर रहा आकाश है,ढूँढ़े सूर्य अलाव । रात रो रही रात भर, अपनी आंखें मूँद, पीर सहेजा फूल ने, बूँद-बूँद फिर...
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