शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

▼
Showing posts with label जीवन. Show all posts
Showing posts with label जीवन. Show all posts

श्वासों का अनुप्रास

›
  सच को कारावास अभी भी, भ्रम पर सबकी आस अभी भी । पानी ही पानी दिखता  पर, मृग आँखों में प्यास अभी भी । मन का मनका फे...
12 comments:

यूँ ही

›
यादों के कुछ ताने-बाने और अकेलापन, यूँ ही बीत रहीं दिन-रातें और अकेलापन। ख़ुद से ख़ुद की बातें शायद ख़त्म कभी न हों, कुछ कड़वी कुछ मीठी याद...
9 comments:

शीत - सात छवियाँ

›
धूप गरीबी झेलती, बढ़ा ताप का भाव, ठिठुर रहा आकाश है,ढूँढ़े सूर्य अलाव । रात रो रही रात भर, अपनी आंखें मूँद, पीर सहेजा फूल ने, बूँद-बूँद फिर...
13 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
महेन्‍द्र वर्मा
View my complete profile
Powered by Blogger.