शाश्वत शिल्प
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बसंत
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बसंत
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होली का दस्तूर
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देहरी पर आहट हुई, फागुन पूछे कौन मैं बसंत तेरा सखा, तू क्यों अब तक मौन। निरखत बासंती छटा, फागुन हुआ निहाल इतराता सा वह चला, लेकर ...
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गीत बसंत का
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सुरभित मंद समीर ले आया है मधुमास। पुष्प रँगीले हो गए किसलय करें किलोल, माघ करे जादूगरी अपन...
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मंजर कैसे-कैसे
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मंजर कैसे-कैसे देखे, कुछ हँस के कुछ रो के देखे। बड़ी भीड़ थी, सुकरातों के- ऐब ढूंढते-फिरते देखे। घर के भीतर घर, न जाने...
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गीत बसंत का
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सुरभित मंद समीर ले आया है मधुमास। पुष्प रंगीले हो गए किसलय करें किलोल, ...
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