शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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साया
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जो भी होगा अच्छा होगा
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जो भी होगा अच्छा होगा, फिर क्यूँ सोचें कल क्या होगा । भले राह में धूप तपेगी, मंज़िल पर तो साया होगा । दिन को ठोकर खाने वाले, ...
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बेवजह
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मुश्किलों को क्यों हवा दी बेवजह, इल्म की क्यों बंदगी की बेवजह । हाथ में गहरी लकीरें दर्ज थीं, छल किया तक़़दीर ने ही...
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