शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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जो भी होगा अच्छा होगा

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जो  भी   होगा  अच्छा   होगा, फिर क्यूँ सोचें कल क्या होगा । भले  राह  में  धूप  तपेगी, मंज़िल पर तो साया होगा । दिन को ठोकर खाने वाले, ...
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कुछ और

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मेरा कहना था कुछ और, उसने समझा था कुछ और । धुँधला-सा है शाम का  सफ़र, सुबह उजाला था कुछ और । गाँव जला तो बरगद रोया, उसका दुखड़ा था कुछ और । अ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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