शाश्वत शिल्प
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जो भी होगा अच्छा होगा
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जो भी होगा अच्छा होगा, फिर क्यूँ सोचें कल क्या होगा । भले राह में धूप तपेगी, मंज़िल पर तो साया होगा । दिन को ठोकर खाने वाले, ...
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कुछ और
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मेरा कहना था कुछ और, उसने समझा था कुछ और । धुँधला-सा है शाम का सफ़र, सुबह उजाला था कुछ और । गाँव जला तो बरगद रोया, उसका दुखड़ा था कुछ और । अ...
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