शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

▼

कैलेण्डर की कहानी

›
                    तिथि, माह और वर्ष की गणना के लिए ईस्वी सन् वाले कैलेण्डर का प्रयोग आज पूरे विश्व में हो रहा है। यह कैलेण्डर आज से 27...
30 comments:

है कैसा दस्तूर

›
भूल चुके हैं हरदम साथ निभाने वाले, याद किसे रखते हैं आज ज़माने वाले। दूर कहीं जाकर बहलाएं मन को वरना, चले यहां भी आएंगे बहकाने वाले।...
35 comments:

आप भी

›
‘ग़र अकेले ऊब जाएं आप भी, आईने से दिल लगाएं आप भी। देखिए शम्आ की जानिब इक नज़र, ज़िदगी को यूं लुटाएं आप भी। हर अंधेरे में नहीं ...
35 comments:

तितलियों का ज़िक्र हो

›
प्यार का, अहसास का, ख़ामोशियों का ज़िक्र हो, महफिलों में अब जरा तन्हाइयों का ज़िक्र हो। मीर, ग़ालिब की ग़ज़ल या, जिगर के कुछ शे‘र हो...
28 comments:

नया ज़माना

›
   नाकामी को ढंकते क्यूं हो, नए बहाने गढ़ते क्यूं हो ? रस्ते तो बिल्कुल सीधे हैं, टेढ़े-मेढ़े चलते क्यूं हो ? तुमने तो कुछ किया ...
38 comments:

गुज़रा हुआ ज़माना ढूंढ

›
लम्हा  एक  पुराना  ढूंढ, फिर खोया अफ़साना ढूंढ। वे गलियां वे घर वे लोग, गुज़रा हुआ ज़माना ढूंढ। भला मिलेगा क्या गुलाब से, बरगद ...
21 comments:

सारी दुनिया

›
तेरा  मुझसे  क्या  नाता  है, पूछ  रही  है  सारी  दुनिया, अपनी मर्जी का मालिक बन, अड़ी खड़ी है सारी दुनिया। बारूदी पंखुड़ी लगा कर, का...
30 comments:

संत चरणदास

›
वि.सं. 1760 की भाद्रपद शुक्ल तृतीया, मंगलवार को मेवात के अंतर्गत डेहरा नामक स्थान में संत चरणदास का जन्म हुआ था। इनका पूर्व नाम रणजीत थ...
26 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me

My photo
महेन्‍द्र वर्मा
View my complete profile
Powered by Blogger.