शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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आभास

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लगता है सत्य कभी अथवा आभास, तिनके-से जीवन पर मन भर विश्वास। स्वप्नों की हरियाली जीवन पाथेय बनी, जग जगमग कर देती आशा की एक कनी। डाल-डाल उम्र...
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जिस पर तेरा नाम लिखा हो

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लम्हा  एक  पुराना  ढूंढ, फिर खोया अफ़साना ढूंढ। वे गलियां वे घर वे लोग, गुज़रा हुआ ज़माना ढूंढ। भला मिलेगा क्या गुलाब से, बरगद  ए...
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डरता है अंधियार

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जगमग हर घर-द्वार  कि अब दीवाली आई, पुलकित  है  संसार  कि  अब  दीवाली आई। दुनिया के  कोने-कोने  में  दीप  जले हैं,  डरता है अंधियार कि ...
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जानना और समझना

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                                   जो जानते हैं, जरूरी नहीं कि वे समझते भी हों। लेकिन जो समझते हैं, वे जानते भी हैं। जानना पहले होता है, स...
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पितर-पूजन का पर्व

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                                     आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की कोई  तिथि। अभी सूर्योदय में कुछ पल शेष है। छत्तीसगढ़ के एक गांव का घर। ...
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जिस्म पर फफोले

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पराबैगनी किरणों के एक समूह ने ओजोन छिद्र से धरती की ओर झांका सयानी किरणों के निषेध के बावजूद कुछ ढीठ, उत्पाती किरणें धरती पर...
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नेह का दीप

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सहमे से हैं लोग न जाने किसका डर है, यही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है। दुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से, अल्लामा को दुख सहते देखा अक...
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उर की प्रसन्नता

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दोनों हाथों की शोभा है दान करने से अरु, मन की शोभा बड़ों का मान करने से है। दोनों भुजाओं की शोभा वीरता दिखाने अरु, मुख की शोभा तो प्यारे सच...
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महेन्‍द्र वर्मा
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