शाश्वत शिल्प
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एक बूंद की रचना सारी : संत सिंगा जी
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भारत के महान संत कवियों के परिचय की श्रृंखला के अंतर्गत मैंने ब्रह्मवादी संतों को प्राथमिकता दी है। मैं मानता हूं कि...
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मैं हुआ हैरान
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घर कभी घर थे मगर अब ईंट पत्थर हो गए, रेशमी अहसास सारे आज खद्दर हो गए। वक़्त की रफ़्तार पहले ना रही इतनी विकट, साल के सारे महीने ज्यूं दिसंब...
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श्रद्धा की आंखें नहीं
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जंगल तरसे पेड़ को, नदिया तरसे नीर, सूरज सहमा देख कर, धरती की यह पीर । मृत-सी है संवेदना, निर्ममता है शेष, मानव ही करता रहा, मानवता से द्वेष...
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गाता हुआ वायलिन
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गाता हुआ वायलिन यानी "singing violin" पूरे विश्व में केवल दो कलाकारों के पास है। एक- पद्मभूषण विद...
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शुभ की कामना
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घर का कोना-कोना उजला हुआ करे तो अच्छा हो, मन के भीतर में भी दीपक जला करे तो अच्छा हो। कहते हैं कुछ लोग कि कोई ऊपर वाला सुनता है, तेरा मेरा...
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सर्पिल नीहारिका
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ठिठके-से तारों की ऊँघती लड़ी, पथराई लगती है सृष्टि की घड़ी। होनी के हाथों में जकड़न-सी आई सूरज की...
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घर की चौखट
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गूँज उठा पैग़ाम आखि़री, चलो ज़रा, ‘जो बोया था काट रहा हूँ, रुको ज़रा।’ हर बचपन में छुपे हुए हैं हुनर बहुत, आहिस्ता से चाबी उनमें भरो ज़रा। ...
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मंजर कैसे-कैसे
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मंजर कैसे-कैसे देखे, कुछ हँस के कुछ रो के देखे। बड़ी भीड़ थी, सुकरातों के- ऐब ढूंढते-फिरते देखे। घर के भीतर घर, न जाने...
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