शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

▼

बातों का फ़लसफ़ा

›
  ज़रा-ज़रा इंसाँ   होने से मन को सुकून मिलना तय है ]   अगर देवता बन बैठे तो हरदम दोष निकलना तय है । सूरज गिरा क्षिति...
13 comments:

उम्र का समंदर

›
दिन ढला तो साँझ का उजला सितारा मिल गया, रात की अब फ़िक्र किसको जब दियारा मिल गया । ज़िंदगी   की  डायरी   में    बस   लकीरें  थीं  मगर, कु...
10 comments:

चींटी के पग

›
सहमी-सी है झील शिकारे बहुत हुए, और उधर तट पर मछुवारे बहुत हुए । चाँद सरीखा कुछ तो टाँगो टहनी पर, जलते-बुझते जुगनू तारे बहुत हुए । ...
7 comments:

मन के नयन

›
मन के नयन खुले हैं जब तक, सीखोगे तुम जीना तब तक । दीये को कुछ ऊपर रख दो, पहुँचेगा उजियारा सब तक । शोर नहीं बस अनहद से ही, सदा पहुँच जाए...
16 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me

My photo
महेन्‍द्र वर्मा
View my complete profile
Powered by Blogger.