शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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बातों का फ़लसफ़ा
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ज़रा-ज़रा इंसाँ होने से मन को सुकून मिलना तय है ] अगर देवता बन बैठे तो हरदम दोष निकलना तय है । सूरज गिरा क्षिति...
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उम्र का समंदर
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दिन ढला तो साँझ का उजला सितारा मिल गया, रात की अब फ़िक्र किसको जब दियारा मिल गया । ज़िंदगी की डायरी में बस लकीरें थीं मगर, कु...
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चींटी के पग
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सहमी-सी है झील शिकारे बहुत हुए, और उधर तट पर मछुवारे बहुत हुए । चाँद सरीखा कुछ तो टाँगो टहनी पर, जलते-बुझते जुगनू तारे बहुत हुए । ...
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मन के नयन
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मन के नयन खुले हैं जब तक, सीखोगे तुम जीना तब तक । दीये को कुछ ऊपर रख दो, पहुँचेगा उजियारा सब तक । शोर नहीं बस अनहद से ही, सदा पहुँच जाए...
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