शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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नवगीत
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कुछ दाने , कुछ मिट्टी किंचित सावन शेष रहे । सूरज अवसादित हो बैठा ऋतुओं में अनबन , नदिया पर्वत सागर रूठे पवनों में जकड़न , जो ह...
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दीये का संकल्प
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तिमिर तिरोहित होगा निश्चित दीये का संकल्प अटल है। सत् के सम्मुख कब टिक पाया घोर तमस की कुत्सित चाल, ज्ञान रश्मियों से बिंध कर ही...
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बेवजह
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मुश्किलों को क्यों हवा दी बेवजह, इल्म की क्यों बंदगी की बेवजह । हाथ में गहरी लकीरें दर्ज थीं, छल किया तक़़दीर ने ही...
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