शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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धर्म से दूर होती नैतिकता

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  अलग-अलग संस्कृति में धर्म का अर्थ अलग-अलग होना  संभव है । इसी प्रकार नैतिकता के अर्थ में भी किंचित भिन्नता हो सकती है । किंतु सभी संस्क...
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तानाशाहों की मानसिक प्रवृत्तियाँ

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19 वीं शताब्दी तक दुनिया के अधिकांश देशों में राजतंत्र था तब राज्य के प्रमुख शासक को राजा, सम्राट आदि कहा जाता था । अपनी असीमित शक्तियों का ...
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जिज्ञासा और तर्क - मनुष्य के धर्म

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  मनुष्य और अन्य प्राणियों में महत्पूर्ण अंतर यह है कि मनुष्य में सोचने, तर्क करने और विकसित भाषा का प्रयोग करने की क्षमता होती है । शेष कार...
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प्राचीन संस्कृत साहित्य में होली

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                      होली की मान्यता लोकपर्व के रूप में अधिक है किन्तु प्राचीन संस्कृत-शास्त्रों में इस पर्व का विपुल उल्लेख मिलता है । भव...
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छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का सामाजिक संदर्भ

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  लोकसंस्कृति को जानने-समझने का प्रमुख जरिया लोकसाहित्य  है। लोकसाहित्य का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितनी कि मानवजाति। लोक मानस की अभिव्यक्...
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शिक्षा, धार्मिकता और मानव-विकास

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    मनुष्य ने पिछली कुछ सदियों में ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व विस्तार किया है । ज्ञान के इस विस्तार ने बहुत सी पारंपरिक मान्यत...
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सच के झरोखे से - विमोचन

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  मेरी दूसरी पुस्तक ‘सच के झरोखे से ’ का विमोचन ‘ कोई भी कृतिकार अमर नहीं होता किन्तु उसकी कोई अमर हो जाती है। ‘ यह विचार ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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