दुनिया कैसी हो गई, छोड़ें भी यह जाप,
सब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप।
दोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान,
अपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्मान।
धन से यदि सम्पन्न हो, पर गुण से कंगाल,
इनका संग न कीजिए, त्याग करें तत्काल।
कवच नम्रता का पहन, को कर सके बिगार,
रुई कभी कटती नहीं, वार करे तलवार।
सद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
मन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार।
जो करता अन्याय है, वह करता अपराध,
पर सहना अन्याय का, वह अपराध अगाध।
सब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप।
दोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान,
अपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्मान।
धन से यदि सम्पन्न हो, पर गुण से कंगाल,
इनका संग न कीजिए, त्याग करें तत्काल।
कवच नम्रता का पहन, को कर सके बिगार,
रुई कभी कटती नहीं, वार करे तलवार।
सद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
मन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार।
जो करता अन्याय है, वह करता अपराध,
पर सहना अन्याय का, वह अपराध अगाध।
-महेन्द्र वर्मा
सचमुच आपने आत्मा का अति उत्तम आहार
ReplyDeleteप्रस्तुत किया है.
हर एक दोहा बहुत सुन्दर सीख दे रहा है.
खुद को बदलने से ही जग भी भी बदल जाता है.
बहुत बहुत आभार,महेंद्र जी.
सद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
ReplyDeleteमन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार।
बिल्कुल, अनुकरणीय विचार लिए पंक्तियाँ
वाक़ई आत्मा का आहार आपने दिया है. हर दोहा मन को पुष्ट करता है. आभार आपका महेंद्र जी.
ReplyDeleteसद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
ReplyDeleteमन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार ।
महेंद्र जी रचना अभिव्यक्ति बहुत शानदार है
आभार ...
दोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान,
ReplyDeleteअपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्मान।
वैसे कठिन है बड़ा....
बहुत सुन्दर दोहे...
सादर
अनु
धन से यदि सम्पन्न हो, पर गुण से कंगाल,
ReplyDeleteइनका संग न कीजिए, त्याग करें तत्काल।...
वरना आप लगेंगे जंजाल .... सही कहा
गहरे मर्म लिए बेहतरीन रचना .बधाई वर्माजी
ReplyDeleteसभी दोहे लाजवाब है.
ReplyDeleteदोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान,
ReplyDeleteअपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्मान।
कवच नम्रता का पहन, को कर सके बिगार,
रुई कभी कटती नहीं, वार करे तलवार।
हरेक दोहे एक से बढ़कर एक .....
सुंदर सीख भरे ...
सादर !!
सही कहा आपने .पूरी तरह से सहमत जीवन के कुछ कोमल दृश्यों को शब्दों में सहेजती अच्छी कविता। !..बहुत सार्थक प्रस्तुति. रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगेंऔर देखें मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-956 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत सुन्दर दोहे.. आत्मा का सुन्दर आहार..आभार.
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर्व की हार्दिक अग्रिम शुभकामनाएँ!!
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
very nice post .thanks .
ReplyDeleteTHIS IS MISSION LONDON OLYMPIC
INDIAN WOMAN
दोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान,
ReplyDeleteअपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्मान।
एक से बढ़कर एक लाजबाब दोहे,,,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
दोहों में दर्शन और सीख ,ज़िन्दगी का आदर्श पिरोया है आपने .बधाई .
ReplyDeleteदुनिया कैसी हो गई, छोड़ें भी यह जाप,
ReplyDeleteसब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप।
सार्थक ...सुंदर रचना ..
सभी दोहे शिक्षाप्रद बहुत ही सुंदर बधाई
ReplyDeleteजो करता अन्याय है, वह करता अपराध,
ReplyDeleteपर सहना अन्याय का, वह अपराध अगाध।
- यही समझ आ जाय तो दुनिया बदल जाये !
बढि़या दोहे.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteखुद के अंदर झाँकिए ...स्वर्ग धरती पर ही पाइए...
ReplyDeleteबहुत प्रेरणापूर्ण रचना !!!
बहुत ही सार्थकता लिए सटीक प्रस्तुति ...आभार
ReplyDeleteधन से यदि सम्पन्न हो, पर गुण से कंगाल,
ReplyDeleteइनका संग न कीजिए, त्याग करें तत्काल
हर एक दोहा बहुत सुन्दर
बहुत ही अच्छे दोहे भाई महेंद्र जी |आभार
ReplyDeleteसभी दोहे सार्थक सीख देते हुये .... आभार
ReplyDeleteसद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
ReplyDeleteमन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार।...
Precious couplets...
.
दुनिया कैसी हो गई, छोड़ें भी यह जाप,
ReplyDeleteसब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप।
एक से बढ़कर एक है, हर दोहा श्रीमान
क्या ही उत्तम सीख है,क्या ही उत्तम ज्ञान |
गहरे मर्म लिए एक अनुकरणीय विचार पूर्ण सुन्दर रचना...अभार
ReplyDeleteसारे दोहे प्रेरक हैं .....तथाकथित मानवों को मनुजता का सही पाठ पढ़ाते हुए
ReplyDeleteआभार
दुनिया कैसी हो गई, छोड़ें भी यह जाप,
ReplyDeleteसब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप।
कवच नम्रता का पहन, को कर सके बिगार,
रुई कभी कटती नहीं, वार करे तलवार।
सभी दोहे गहराई लिये हुए
सब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप...
ReplyDeleteसंग्रह के लायक रचना !
अनुकरणीय विचार पूर्ण रचना .......
ReplyDeleteबहुत खूब! सभी दोहे एक सार्थक संदेश देते हुए..
ReplyDeleteसद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
ReplyDeleteमन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार।
मन को तृप्त करते दोहे।
सभी पंक्तियाँ गहरी सीख देती हैं.
ReplyDeleteसद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
ReplyDeleteमन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार।
सुन्दर रचना...अभार!
क्या खुबसूरत दोहे सर...
ReplyDeleteसादर.
धन से यदि सम्पन्न हो, पर गुण से कंगाल,
ReplyDeleteइनका संग न कीजिए, त्याग करें तत्काल ...
सभी दोहे लाजवाब ... गहरा दर्शन समेटे ...
सभी दोहे बहुत अर्थपूर्ण और संदेशप्रद, धन्यवाद.
ReplyDeleteकवच नम्रता का पहन, को कर सके बिगार,
ReplyDeleteरुई कभी कटती नहीं, वार करे तलवार।
सद्ग्रंथों को जानिए, आत्मा का आहार,
मन के दोषों का करे, बिन औषध परिहार।
bahut hi sundar rachana ....sadar abhar.
बहुत ही सुंदर रचनाएँ,सभी दोहे आनंदित करने वाले हैं।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteHlo sir I want please remove my comment becouse it's doing effect on my website.🙏🙏
Delete