शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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दोहे : गूँजे तार सितार
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कभी सुनाती लोरियाँ, कभी मचातीं शोर, जीवन सागर साधता, इन लहरों का जोर। कटुक वचन अरु क्रोध में, चोली दामन संग, एक बढ़े दूसर बढ़े, दोनों...
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नवगीत
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आश्विन के अंबर में रंगों की टोली, सूरज की किरणों ने पूर दी रंगोली। नेह भला अपनों का, मीत बना सपनों का, संध्या की आंखों में चमकती ...
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कुछ लोग
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सच्चाई की बात करो तो, जलते हैं कुछ लोग, जाने कैसी-कैसी बातें, करते हैं कुछ लोग। धूप, चांदनी, सीप, सितारे, सौगातें हर सिम्त, फिर भी ...
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सूफी संत मंसूर
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सन् 858 ई. में ईरान में जन्मे सूफी संत मंसूर एक आध्यात्मिक विचारक, क्रांतिकारी लेखक और सूफी मत के पवित्र गुरु के रूप में प्रसिद्ध हुए। ...
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अन्ना दादा, वाह !
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जीता जन का तंत्र है, हारे तानाशाह, गूंज रहा चहुं ओर है, अन्ना दादा वाह। अन्ना दादा वाह, पहन कर टोपी खादी, असली आजादी की तुमने झलक दिखाद...
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दोहे - सारे नाते नेह के
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नाते इस संसार में, बनते एकाएक, सारे नाते नेह के, नेह बिना नहिं नेक। मन की गति कितनी अजब, कितनी है दुर्भेद, तुरत बदलता रंग है, कोउ न ...
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देश हमारा
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, आलोकित हो दिग्दिगंत, वह दीप जलाएं, देश हमारा झंकृत हो, वह साज बजाएं। जन्म लिया हमने, भारत की पुण्य धरा पर, सकल विश्व को इसका गौरव-ग...
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गीतिका : बरसात में
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धरणि धारण कर रही, चुनरी हरी बरसात में, साजती शृंगार सोलह, बावरी बरसात में। रोक ली है राह काले, बादलों ने किरण की, पीत मुख वह झाँक...
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