शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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गीतिका
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यादों को विस्मृत कर देना बहुत कठिन है, ख़ुद को ही धोखा दे पाना बहुत कठिन है। जाने कैसी चोट लगी है अंतःतल में, टूटे दिल को आस बंधाना बह...
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दर्शन और गणित का संबंध
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मानवीय ज्ञान के क्षेत्र में दो शास्त्र- गणित और दर्शन- ऐसे विषय हैं जिनका स्पष्ट संबंध मस्तिष्क की चिंतन क्षमता और तर्क से है। मानव जा...
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क्षणिकाएं
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1. घटनाएं भविष्य के अनंत आकाश से एक-एक कर उतरती हैं और क्षण भर में घटित होकर समा जाती हैं अतीत के महापाताल में बताओ भला कहां है...
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दोहे : अवसर का उपयोग
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आशा ऐसी वस्तु है, मिलती सबके पास, पास न हो कुछ भी मगर, हरदम रहती आस। आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ, एक वर्ष उद्यम भरा, महती इ...
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गीत बसंत का
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सुरभित मंद समीर ले आया है मधुमास। पुष्प रंगीले हो गए किसलय करें किलोल, ...
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सपना
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ना सच है ना झूठा है, जीवन केवल सपना है। कुछ सोए कुछ जाग रहे, अपनी-अपनी दुनिया है। सत्य बसा अंतस्तल में, बाहर मात्र छलावा है। दुख न...
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होनहार बिरवान के होत चीकने पात
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कवि वृंद ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात‘ और ‘तेते पांव पसारिए, जेते लंबी सौर‘ जैसी लोकोक्तियों के जनक प्रसिद्ध जनकवि वृंद का जन्म सन् ...
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ग़ज़ल
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रोज़-रोज़ यूं बुतख़ाने न जाया कर, दिल में पहले बीज नेह के बोया कर। वक़्त लौट कर चला गया दरवाज़े से, ऐसी बेख़बरी से अब ना सोया कर। तू...
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