शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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वर्तमान की डोर

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ज्ञान और ईमान अब, हुए महत्ताहीन, छल-प्रपंच करके सभी, धन के हुए अधीन। बिना परिश्रम ही किए, यदि धन होता प्राप्त, वैचारिक उद्भ्रांत से,...
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छत्तीसगढ़ी हाना

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                             वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय ...
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राजरानी देवी

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                      सन् 1905 में एक माँ ने जिस बालक को जन्म दिया, वह हिंदी साहित्याकाश में नक्षत्र बन कर चमका। उस बालक को हिंदी और हिंद...
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मृत्यु के निकट

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आत्म प्रशंसा त्याज्य है, पर निंदा भी व्यर्थ, दोनों मरण समान हैं, समझें इसका अर्थ। एक-एक क्षण आयु का, सौ-सौ रत्न समान, जो खोते हैं व...
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नए वर्ष से अनुनय

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ढूँढो कोई कहाँ पर रहती मानवता, मानव से भयभीत सहमती मानवता। रहते हैं इस बस्ती में पाषाण हृदय, इसीलिए आहत सी लगती मानवता। मानव ने मानव का लहू...
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सफेद बादलों की लकीर

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1.   कितनी धुँधली-सी हो गई हैं छवियाँ या आँखों में भर आया है कुछ शायद अतीत की नदी में गोता लगा रही हैं आँखें ! 2. विवेक ने कहा- हाँ, यही...
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सुख-दुख से परे

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एकमात्र सत्य हो तुम ही तुम्हारे अतिरिक्त नहीं है अस्तित्व किसी और का सृजन और संहार तुम्ही से है फिर भी कोई जानना नहीं चाहता तुम्हारे बारे ...
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शब्द रे शब्द, तेरा अर्थ कैसा

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‘मेरे कहने का ये आशय नहीं था, आप गलत समझ रहे हैं।‘ यह एक ऐसा वाक्य है जिसका प्रयोग बातचीत के दौरान हर किसी को करने की जरूरत पड़ ही जाती ह...
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महेन्‍द्र वर्मा
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