शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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उर की प्रसन्नता
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दोनों हाथों की शोभा है दान करने से अरु, मन की शोभा बड़ों का मान करने से है। दोनों भुजाओं की शोभा वीरता दिखाने अरु, मुख की शोभा तो प्यारे सच...
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बिना बोले
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विपत बनाती मनुज को, दुर्बल न बलवान, वह तो केवल यह कहे, क्या है तू, ये जान। कौन, कहां मैं, किसलिए, खुद से पूछें आप, सहज विवेकी बन रहें, कम ह...
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संत बाबा किनाराम
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बनारस जिले की चंदौली तहसील के रामगढ़ गांव में अकबर सिंह और मनसा देवी के घर जिस बालक ने जन्म लिया वही प्...
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वर्तमान की डोर
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ज्ञान और ईमान अब, हुए महत्ताहीन, छल-प्रपंच करके सभी, धन के हुए अधीन। बिना परिश्रम ही किए, यदि धन होता प्राप्त, वैचारिक उद्भ्रांत से,...
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छत्तीसगढ़ी हाना
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वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय ...
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राजरानी देवी
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सन् 1905 में एक माँ ने जिस बालक को जन्म दिया, वह हिंदी साहित्याकाश में नक्षत्र बन कर चमका। उस बालक को हिंदी और हिंद...
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मृत्यु के निकट
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आत्म प्रशंसा त्याज्य है, पर निंदा भी व्यर्थ, दोनों मरण समान हैं, समझें इसका अर्थ। एक-एक क्षण आयु का, सौ-सौ रत्न समान, जो खोते हैं व...
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नए वर्ष से अनुनय
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ढूँढो कोई कहाँ पर रहती मानवता, मानव से भयभीत सहमती मानवता। रहते हैं इस बस्ती में पाषाण हृदय, इसीलिए आहत सी लगती मानवता। मानव ने मानव का लहू...
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