शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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सूर्य के टुकड़े

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छंदों के तेवर बिगड़े हैं, गीत-ग़ज़ल में भी झगड़े हैं। राजनीति हो या मज़हब हो, झूठ के झंडे लिए खड़े हैं । बड़े लोग हैं ठीक है लेकिन, जि़ंदा ...
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मौसम की मक्कारी

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हरियाली ने कहा देख लो  मेरी यारी कुछ दिन और, सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और । बाँस थामकर  नाच रहा था  छोटा बच्चा रस्सी पर, दिख...
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जाने किसकी नज़र लग गई

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कभी छलकती रहती थीं  बूँदें अमृत की धरती पर, दहशत का जंगल उग आया कैसे अपनी धरती पर । सभी मुसाफिर  इस सराय के  आते-जाते रहते हैं, आस नहीं...
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औषधि ये ही तीन हैं

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श्रेष्ठ विचारक से अगर, करना हो संवाद, उनकी पुस्तक बांचिए, भीतर हो अनुनाद। जिनकी सोच अशक्त है, वे होते वाचाल, उत्तम जिनकी सोच है, नहीं बजाते...
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सम्मोहन

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अगर मैं ये कहूँ कि धर्म से हटा दो आडम्बर पूरी तरह तो क्या तुम मुझे जीने नहीं दोगे और अगर मैं ये कहूँ कि मैं धर्म में मिला सकता हूं कुछ और स...
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कृष्ण विवर

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कुछ भी नहीं था पर शून्य भी नहीं था चीख रहे उद्गाता । जगती का रंगमंच उर्जा का है प्रपंच, अकुलाए-से लगते आज महाभूत पंच, दिक् ने ज्यों काल से ...
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क्लोन

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वह अनादि है अनंत है उसे न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट उसका नहीं कोई आकार रूप नहीं, गुण नहीं वह पदार्थ भी नहीं किंतु  विद्यमान ह...
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देवता

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आदमी को आदमी-सा फिर बना दे देवता, काल का पहिया ज़रा उल्टा घुमा दे देवता। लोग सदियों से तुम्हारे नाम पर हैं लड़ रहे, अक़्ल के दो दाँत उनके फ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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