शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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शीत - सात छवियाँ
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धूप गरीबी झेलती, बढ़ा ताप का भाव, ठिठुर रहा आकाश है,ढूँढ़े सूर्य अलाव । रात रो रही रात भर, अपनी आंखें मूँद, पीर सहेजा फूल ने, बूँद-बूँद फिर...
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उजाले का स्रोत
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सदियों से ‘अँधेरे’ में रहने के कारण ‘वे’ अँधेरी गुफाओं में रहने वाली मछलियों की तरह अपनी ‘दृष्टि’ खो चुके हैं । उनकी देह में अँधेरे से ग्रस...
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सूर्य के टुकड़े
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छंदों के तेवर बिगड़े हैं, गीत-ग़ज़ल में भी झगड़े हैं। राजनीति हो या मज़हब हो, झूठ के झंडे लिए खड़े हैं । बड़े लोग हैं ठीक है लेकिन, जि़ंदा ...
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मौसम की मक्कारी
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हरियाली ने कहा देख लो मेरी यारी कुछ दिन और, सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और । बाँस थामकर नाच रहा था छोटा बच्चा रस्सी पर, दिख...
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जाने किसकी नज़र लग गई
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कभी छलकती रहती थीं बूँदें अमृत की धरती पर, दहशत का जंगल उग आया कैसे अपनी धरती पर । सभी मुसाफिर इस सराय के आते-जाते रहते हैं, आस नहीं...
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औषधि ये ही तीन हैं
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श्रेष्ठ विचारक से अगर, करना हो संवाद, उनकी पुस्तक बांचिए, भीतर हो अनुनाद। जिनकी सोच अशक्त है, वे होते वाचाल, उत्तम जिनकी सोच है, नहीं बजाते...
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सम्मोहन
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अगर मैं ये कहूँ कि धर्म से हटा दो आडम्बर पूरी तरह तो क्या तुम मुझे जीने नहीं दोगे और अगर मैं ये कहूँ कि मैं धर्म में मिला सकता हूं कुछ और स...
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कृष्ण विवर
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कुछ भी नहीं था पर शून्य भी नहीं था चीख रहे उद्गाता । जगती का रंगमंच उर्जा का है प्रपंच, अकुलाए-से लगते आज महाभूत पंच, दिक् ने ज्यों काल से ...
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