शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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गीतिका

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बंद होती सभी खिड़कियां देखिए, ढा रही हैं कहर आंधियां देखिए। याद मुझको करे कोई्र ऐसा नहीं, आ रही हैं मगर हिचकियां देखिए। भीड़ को...
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जीवन

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स्वार्थ का परमार्थ से है युद्ध जीवन, हो नहीं सकता सभी का बुद्ध जीवन। श्रम हुआ निष्फल, कभी पुरुषार्थ आहत, नियति के आक्रोश से स्तब्ध ...
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ख़ाक है संसार

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बुलबुले सी ज़िदगानी, या ख़ुदा, है कोई झूठी कहानी, या ख़ुदा। वक़्त की फिरकी उफ़क पर जा रही, छोड़ती अपनी निशानी, या ख़ुदा। पांव ध...
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ज़िदगी से सुर मिलाना चाहिए

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अब अंधेरे को डराना चाहिए फिर कोई सूरज उगाना चाहिए। शोर से ऊबी गली ने फिर कहा झींगुरों को गुनगुनाना चाहिए। जुगनुओं...
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इंसान की बातें करें

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नूतन वर्ष की प्रथम रचना सृजन का संकल्प लें, निर्माण की बातें करें। कामनाएं शुभ करें, कल्याण की बातें करें। जन्म लेता है उजाला, हर ...
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कैलेण्डर की कहानी

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                    तिथि, माह और वर्ष की गणना के लिए ईस्वी सन् वाले कैलेण्डर का प्रयोग आज पूरे विश्व में हो रहा है। यह कैलेण्डर आज से 27...
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है कैसा दस्तूर

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भूल चुके हैं हरदम साथ निभाने वाले, याद किसे रखते हैं आज ज़माने वाले। दूर कहीं जाकर बहलाएं मन को वरना, चले यहां भी आएंगे बहकाने वाले।...
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आप भी

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‘ग़र अकेले ऊब जाएं आप भी, आईने से दिल लगाएं आप भी। देखिए शम्आ की जानिब इक नज़र, ज़िदगी को यूं लुटाएं आप भी। हर अंधेरे में नहीं ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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