शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
(Move to ...)
Home
▼
अन्ना दादा, वाह !
›
जीता जन का तंत्र है, हारे तानाशाह, गूंज रहा चहुं ओर है, अन्ना दादा वाह। अन्ना दादा वाह, पहन कर टोपी खादी, असली आजादी की तुमने झलक दिखाद...
45 comments:
दोहे - सारे नाते नेह के
›
नाते इस संसार में, बनते एकाएक, सारे नाते नेह के, नेह बिना नहिं नेक। मन की गति कितनी अजब, कितनी है दुर्भेद, तुरत बदलता रंग है, कोउ न ...
37 comments:
देश हमारा
›
, आलोकित हो दिग्दिगंत, वह दीप जलाएं, देश हमारा झंकृत हो, वह साज बजाएं। जन्म लिया हमने, भारत की पुण्य धरा पर, सकल विश्व को इसका गौरव-ग...
46 comments:
गीतिका : बरसात में
›
धरणि धारण कर रही, चुनरी हरी बरसात में, साजती शृंगार सोलह, बावरी बरसात में। रोक ली है राह काले, बादलों ने किरण की, पीत मुख वह झाँक...
46 comments:
मैं भी इक संतूर रहा हूं।
›
दिल ही हूं मजबूर रहा हूं, इसीलिए मशहूर रहा हूं। चलता आया उसी लीक पर, दुनिया का दस्तूर रहा हूं। नए दौर में सच्चाई का, चेहरा हूं, ब...
37 comments:
सबसे उत्तम मित्र
›
ग्रंथ श्रेष्ठ गुरु जानिए , हमसे कुछ नहिं लेत, बिना क्रोध बिन दंड के, उत्तम विद्या देत। संगति उनकी कीजिए, जिनका हृदय पवित्र, कभी-कभी ए...
38 comments:
संत गंगादास
›
महाकवि संत गंगादास का जन्म ई. सन् 1823 में मेरठ जनपद के रसूलपुर गांव में हुआ था। इनका परिवार अत्यंत संपन्न था। उस समय इनके पिता के पास 600...
35 comments:
नवगीत
›
अम्बर के नैना भर आए नीर झरे रह-रह के। प्रात स्नान कर दिनकर निकला, छुपा क्षणिक आनन को दिखला, संध्या के आंचल में लाली वीर बहूटी दहक...
40 comments:
‹
›
Home
View web version