शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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दोहे: तन-मन-धन-जन-अन्न

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जहाँ-जहाँ पुरुषार्थ है, प्रतिभा से संपन्न,  संपति पाँच विराजते, तन-मन-धन-जन-अन्न। दुख है जनक विराग का, सुख से उपजे राग, जो सुख-दुख से...
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झिलमिल झिलमिल झिलमिल

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दीपों से आलोकित डगर-डगर, द्वार-द्वार। पुलकित प्रकाश-पर्व, तम का विनष्ट गर्व, यत्र-तत्र छूट रहे जुग-जुगनू के अनार। नव तारों के सं...
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संत कवि परसराम

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संत कवि परसराम का जन्म बीकानेर के बीठणोकर कोलायत नामक स्थान पर हुआ था। इनका जन्म वर्ष संवत 1824 है और इनके देहावसान का काल पौष कृष्ण 3, सं...
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कहाँ तुम चले गए / 10.10.2011

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दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है कलाकार ईश्वर की सबसे प्यारी संतान होता है। हे ईश्वर ! तुम जब भी अपनी बनाई दुनिया के तमा...
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देहि सिवा बर मोहि इहै

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 गुरु गोविंदसिंह जी   विरचित सुविख्यात ग्रंथ ‘श्री दसम ग्रंथ‘ एक अद्वितीय आध्यात्मिक और धार्मिक साहित्य है। इस ग्रंथ में गुरु जी ने लगभग ...
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दोहे : गूँजे तार सितार

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कभी सुनाती लोरियाँ, कभी मचातीं शोर, जीवन सागर साधता, इन लहरों का जोर। कटुक वचन अरु क्रोध में, चोली दामन संग, एक बढ़े दूसर बढ़े, दोनों...
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नवगीत

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आश्विन के अंबर में रंगों की टोली, सूरज की किरणों ने पूर दी रंगोली। नेह भला अपनों का, मीत बना सपनों का, संध्या की आंखों में चमकती ...
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कुछ लोग

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सच्चाई की बात करो तो, जलते हैं कुछ लोग, जाने कैसी-कैसी बातें, करते हैं कुछ लोग। धूप, चांदनी, सीप, सितारे, सौगातें हर सिम्त, फिर भी ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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