शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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आत्मा का आहार
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दुनिया कैसी हो गई, छोड़ें भी यह जाप, सब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप। दोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान, अपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्म...
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सोचिए ज़रा
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कितनी लिखी गई किताब सोचिए ज़रा, क्या मिल गए सभी जवाब सोचिए ज़रा। काँटों बग़ैर ज़िंदगी कितनी अजीब हो, अब खिलखिला रहे गुलाब सोचिए ज़रा। ज़र्रा है...
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आगत की चिंता नहीं
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धनमद-कुलमद-ज्ञानमद, दुनिया में मद तीन, अहंकारियों से मगर, मति लेते हैं छीन। गुणी-विवेकी-शीलमय, पाते सबसे मान, मूर्ख किंतु करते सदा, उनका ...
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उम्र भर
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जख़्म सीने में पलेगा उम्र भर, गीत बन-बन कर झरेगा उम्र भर। घर का हर कोना हुआ है अजनबी, आदमी ख़ुद से डरेगा उम्र भर। जो अंधेरे को लगा लेते ग...
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शुक्र का पारगमन- एक दुर्लभ घटना
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‘भोर का तारा‘ या ‘सांध्य तारा‘ के रूप में सदियों से परिचित शुक्र ग्रह अर्थात ‘सुकवा‘ 6 जून, 2012 को ए...
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हँसी बहुत अनमोल
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कर प्रयत्न राखें सभी, मन को सदा प्रसन्न, जो उदास रहते वही, सबसे अधिक विपन्न। गहन निराशा मौत से, अधिक है ख़तरनाक, धीरे-धीरे जि़ंदगी, कर देत...
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दो कविताएँ
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1. मैं ही सही हूँ शेष सब गलत हैं ऐसा तो सभी सोचते हैं लेकिन ऐसा सोचने वाले कुछ लोग अनुभव करते हैं अतिशय दुख का क्योंकि शेष सब लोग लगे हुए...
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सूरज: सात दोहे
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सूरज सोया रात भर, सुबह गया वह जाग, बस्ती-बस्ती घूमकर, घर-घर बाँटे आग। भरी दुपहरी सूर्य ने, खेला ऐसा दाँव, पानी प्यासा हो गया, बरगद माँगे ...
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