शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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राजरानी देवी
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सन् 1905 में एक माँ ने जिस बालक को जन्म दिया, वह हिंदी साहित्याकाश में नक्षत्र बन कर चमका। उस बालक को हिंदी और हिंद...
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मृत्यु के निकट
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आत्म प्रशंसा त्याज्य है, पर निंदा भी व्यर्थ, दोनों मरण समान हैं, समझें इसका अर्थ। एक-एक क्षण आयु का, सौ-सौ रत्न समान, जो खोते हैं व...
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नए वर्ष से अनुनय
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ढूँढो कोई कहाँ पर रहती मानवता, मानव से भयभीत सहमती मानवता। रहते हैं इस बस्ती में पाषाण हृदय, इसीलिए आहत सी लगती मानवता। मानव ने मानव का लहू...
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सफेद बादलों की लकीर
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1. कितनी धुँधली-सी हो गई हैं छवियाँ या आँखों में भर आया है कुछ शायद अतीत की नदी में गोता लगा रही हैं आँखें ! 2. विवेक ने कहा- हाँ, यही...
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सुख-दुख से परे
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एकमात्र सत्य हो तुम ही तुम्हारे अतिरिक्त नहीं है अस्तित्व किसी और का सृजन और संहार तुम्ही से है फिर भी कोई जानना नहीं चाहता तुम्हारे बारे ...
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शब्द रे शब्द, तेरा अर्थ कैसा
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‘मेरे कहने का ये आशय नहीं था, आप गलत समझ रहे हैं।‘ यह एक ऐसा वाक्य है जिसका प्रयोग बातचीत के दौरान हर किसी को करने की जरूरत पड़ ही जाती ह...
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नवगीत
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शब्दों से बिंधे घाव उम्र भर छले, आस-श्वास पीर-धीर मिल रहे गले। सुधियों के दर्पण में अलसाये-से साये, शुष्क हुए अधरों ने मूक छंद फिर गाए, हृ...
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क्या हुआ
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बाग दरिया झील झरने वादियों का क्या हुआ, ढूंढते थे सुर वहीं उन माझियों का क्या हुआ। कह रहे कुछ लोग उनके साथ है कोई नहीं, हर कदम चलती हुई परछ...
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