शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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क्षणिकाएं
1.
घटनाएं
भविष्य के अनंत आकाश से
एक-एक कर उतरती हैं
और
क्षण भर में घटित होकर
समा जाती हैं
अतीत के महापाताल में
बताओ भला
कहां है
वर्तमान !!
2.
-उदास हो
-नहीं
बस यूं ही
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं
-महेन्द्र वर्मा
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