1.
तुम्हारा झूठ
उसके लिए
सच है
मेरा सच
किसी और के लिए
झूठ है
ऐसा तो होना ही था
क्योंकि
सच और झूठ को
तौलने वाला तराजू
अलग-अलग है
हम सबका !
2.
जो नासमझ है
उसे समझाने से
क्या फ़ायदा
और
जो समझदार है
उसे
समझाने की क्या ज़रूरत
क्या इसका
ये अर्थ निकाला जाए
कि
जो समझदार
किसी नासमझ को
समझाने की कोशिश करते हैं
वे नासमझ हैं !!
3.
मैं
तुम्हारे लिए
कुछ और हूं
किसी और के लिए
कुछ और
यानी
दूसरों की
अलग-अलग नज़रों में
मैं अलग-अलग ‘मैं’ हूं
बस
मैं सिर्फ़ वह नहीं हूं
‘जो मैं हूं’ !!!
-महेन्द्र वर्मा
6 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, भगवान से शिकायत “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
भावों और शब्दार्थों के मनके खूबसूरती से पिरोए गए है. मणिकाएँ शब्द की प्रयुक्ति बहुत सटीक है.
सुंदर रचना महेंद्र जी.
बहुत खूब !
behtreen lines
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आईना सदृश ... अति सुंदर मणिकाएँ ।
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