लगता है सत्य कभी
अथवा आभास,
तिनके-से जीवन पर
मन भर विश्वास।
स्वप्नों की हरियाली
जीवन पाथेय बनी,
जग जगमग कर देती
आशा की एक कनी।
डाल-डाल उम्र हुई
पात-पात श्वास।
जड़ता खिलखिल करती
बैद्धिकता आह !
अमरत्व मरणशील
कहानी अथाह।
चिदाकाश करता है,
मानो उपहास।
-महेन्द्र वर्मा