सदियों से
‘अँधेरे’ में रहने के कारण
‘वे’
अँधेरी गुफाओं में
रहने वाली मछलियों की तरह
अपनी ‘दृष्टि’ खो चुके हैं ।
उनकी देह में
अँधेरे से ग्रसित
मन-बुद्धि तो है
किंतु आत्मा नहीं
क्योंकि आत्मा
अँधेरे में नहीं रहती
वह तो स्वयं
‘उजाले का स्रोत’ होती है ।
-महेन्द्र वर्मा