आशा ऐसी वस्तु है, मिलती सबके पास,
पास न हो कुछ भी मगर, हरदम रहती आस।
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
सुनी कभी तो जायगी, दुखियारे की टेर,
ईश्वर के घर देर है, नहीं मगर अंधेर।
शत्रु नहीं यदि आपका, समझें यह संकेत,
भुला दिया है भाग्य ने, न जाने किस हेत।
प्रेम अध्ययन से करें, सद्ग्रंथों का साथ,
सब विषाद को मोद में, बदलें अपने हाथ।
पाने की यदि चाह है, इतना करें प्रयास,
देना पहले सीख लें, सब कुछ होगा पास।
अवसर का उपयोग जो, करता सोच विचार,
है प्रतिभाशाली वही, कहता समय पुकार।
-महेन्द्र वर्मा