तेरा-मेरा-सब का

सबसे ज्यादा अपना है, 
वह जो मेरा साया है।

मन की आंखें खुल जातीं,
दिल में अगर उजाला है।

कुछ आखर कुछ मौन बचा,
यह मेरा सरमाया है।

दुनियादारी है क्या शै,
धुंआ-धुंआ सा दिखता है।

आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है।

सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।

इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ये कैसा बंटवारा है।

                                                       -महेन्द्र वर्मा