गीतिका



रात ने जब-जब किया श्रृंगार है,
चांद माथे पर सजा हर बार है।


ओस, जैसे अश्रु की बूंदें झरीं,
चांदनी रोती रही सौ बार है।


नीलिमा लिपटी सुबह आकाश से,
क्षितिज का मुंह लाज से रतनार है।


खिलखिलाकर खिल उठी है कुमुदिनी,
किरण ने उस पर लुटाया प्यार है।


ढीठ बादल देख इतराता हुआ,
सूर्य का चेहरा हुआ अंगार है।


दिवस के मन में उदासी छा गई,
सांझ उसका छूटता घर-बार है।


हैं यही सब रंग जीवन में मनुज के,
लोग कहते हैं यही संसार है।

                                                       -महेन्द्र वर्मा

30 comments:

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय महेंद्र जी
नमस्कार !
वाह ! बहुत सार्थक प्रस्तुति..

दर्शन कौर धनोय said...

नव वर्ष में हमेशा ये बहार रहे !
मेरी शुभ कामना हमेशा ये स्नेह बना रहे !!
sundar rchana.

Kunwar Kusumesh said...

हैं यही सब रंग जीवन में मनुज के,
लोग कहते हैं यही संसार है।

वाह वाह .
जीवन के विभिन्न रंगों से सजी गीतिका बहुत बहुत प्यारी है.

मनोज कुमार said...

नीलिमा लिपटी सुबह आकाश से,
क्षितिज का मुंह लाज से रतनार है।
बेहतरीन लाजवाब।
प्रकृति, खास कर सुबह का इतना मनोरम चित्रण राम नरेश त्रिपाठी के खण्ड काव्य पथिक में पढा था। याद आ गया
राग रथी रवि राग पथी सविराग विनोद बसेरा
प्रकृति भवन के सब विभवों से सुंदर सरस सवेरा।

Unknown said...

ओस, जैसे अश्रु की बूंदें झरीं,
चांदनी रोती रही सौ बार है
बेहतरीन गीतिका

Kailash Sharma said...

ओस, जैसे अश्रु की बूंदें झरीं,
चांदनी रोती रही सौ बार है।


बहुत सुन्दर..नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें!

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

महेन्द्र भाई इस गज़ल के सारे अशआर उम्दा लगे लेकिन मक़्ता तो लाज़वाब है, ज़िन्दगी की फ़िलासफ़ी को मुकम्मल तौर से बयां कर रही है।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

हैं यही सब रंग जीवन में मनुज के,
लोग कहते हैं यही संसार है।

वाह....बहुत उम्दा ....नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें

Shalini kaushik said...

हैं यही सब रंग जीवन में मनुज के,
लोग कहते हैं यही संसार है।
bahut sundar ...नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सुंदर गीत के लिए आभार
नवरात्रि तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई

ज्योति सिंह said...

दिवस के मन में उदासी छा गई,
सांझ उसका छूटता घर-बार है।


हैं यही सब रंग जीवन में मनुज के,
लोग कहते हैं यही संसार है।
sukh -dukh ke rango ki yahan khinchi hui hai rekha ,jeevan ke dono pahlu ko bakhoobi saheja hai aapne .ati sundar .aabhari hoon aapki .

Shikha Kaushik said...

नीलिमा लिपटी सुबह आकाश से,
क्षितिज का मुंह लाज से रतनार है।
bahut sundar panktiyan-navvarsh-samvatsar kee hardik shubhkamnayen

Satish Saxena said...

आपकी रचनाएँ धाराप्रवाह, सरल और मनमोहक रहती हैं ! शुभकामनायें भाई जी !

ashish said...

बीती विभावरी जाग री----

मानव के उत्थान से पतन तक , उदय से अस्त तक . हर शेर भाव विभोर करते हुए .

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'नीलिमा लिपटी सुबह आकाश से '

क्षितिज का मुंह लाज से रतनार है |

************************

महेंद्र जी ,

बहुत अच्छी गीतिका (हिंदी ग़ज़ल ) ....हर बंद (शेर ) सुन्दर

ZEAL said...

जिंदगी से सारे रंग आपकी इस रचना में झिलमिला रहे हैं। सच ही कहा है - "यही है जीवन का रंग रूप" । कहीं होठों पर मुस्कुराहटें हैं तो साथ-साथ आँसू भी छलक पड़ते हैं । जीवन इन्द्रधनुषी है ।

दिगम्बर नासवा said...

खिलखिलाकर खिल उठी है कुमुदिनी,
किरण ने उस पर लुटाया प्यार है।..

Is geetika mein to madhur prakriti ka chitran hai ... bahut hi lajawaab hai ...

bilaspur property market said...

शानदार पोस्ट

नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें

मदन शर्मा said...

बेहतरीन लाजवाब।
सुंदर गीत के लिए आभार!!
इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

जितनी सुन्दर भाषा उतनी ही सुन्दर भावना ... बेहतरीन रचना !

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

यह गीतिका है या पेंटिंग!! वर्मा साहब मन मोह लिया आपने.. प्रकृति का इतना सुन्दर और सजीव चित्रण देखकर मुग्ध हूँ!!

Sunil Kumar said...

दिवस के मन में उदासी छा गई,
सांझ उसका छूटता घर-बार है।
बहुत खुबसूरत अहसास और उनको सुन्दर शब्दों से सजाया . बधाई

संजय @ मो सम कौन... said...

हमेशा की तरह सहज रूप से सब सिंगार संजो दिये है सर, बहुत शानदार।

M VERMA said...

ढीठ बादल देख इतराता हुआ,
सूर्य का चेहरा हुआ अंगार है।
सुन्दर बिम्ब दिया है
बेहतरीन रचना

Vivek Jain said...

खिलखिलाकर खिल उठी है कुमुदिनी,
किरण ने उस पर लुटाया प्यार है।

बहुत ही सुंदर!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Patali-The-Village said...

सुंदर गीत के लिए आभार|

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

गागर में सागर से हैं सारे के सारे शेर।

---------
प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्‍यादा खतरनाक है ?

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

bilkul yahi sansar hai..........

yu kahen to rangmanch hai......

virendra sharma said...

"aus jaise ashru kee boonden jharin ,chaandnee roti rhi sau baar hai "
sundram manoharam "geetikaa" saansaar hai .
veerubhai .

Vishal said...

ढीठ बादल देख इतराता हुआ,
सूर्य का चेहरा हुआ अंगार है।

Behtareen!!!