कर प्रयत्न राखें सभी, मन को सदा प्रसन्न,
जो उदास रहते वही, सबसे अधिक विपन्न।
गहन निराशा मौत से, अधिक है ख़तरनाक,
धीरे-धीरे जि़ंदगी, कर देती है ख़ाक।
वाद-विवाद न कीजिए, कबहूँ मूरख संग,
सुनने वाला ये कहे, दोनों के इक ढंग।
जो जलते हैं अन्य से, अपना करते घात,
अपने मन को भूनकर, खुद ही खाए जात।
उन्नति चाहें आप तो, रखें न इनको रंच,
ईष्र्या-कटुता-द्वेष-भय, निंदा-नींद-प्रपंच।
नहिं महत्व कोई मनुज, मरता है किस भाँति,
पर महत्व की बात यह, जीया है किस भाँति।
हँसी बहुत अनमोल पर, मिल जाती बेमोल,
देती दिल की गाँठ को, आसानी से खोल। -महेन्द्र वर्मा
30 comments:
बहुत सुंदर...गाँठ बाँध रखने योंग्य....
वाद-विवाद न कीजिए, कबहूँ मूरख संग,
सुनने वाला ये कहे, दोनों के इक ढंग।
वाह!!!
शुक्रिया
सादर.
शिक्षा और सौन्दर्य से भरपूर दोहे, धन्यवाद!
वाद-विवाद न कीजिए, कबहूँ मूरख संग,
सुनने वाला ये कहे, दोनों के इक ढंग।
नीति परक पथ प्रदर्शक सार्वकालिक दोहे .. बढ़िया प्रस्तुति है .... .कृपया यहाँ भी पधारें -
रविवार, 27 मई 2012
ईस्वी सन ३३ ,३ अप्रेल को लटकाया गया था ईसा मसीह
.
ram ram bhai
को सूली पर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भी -
चालीस साल बाद उसे इल्म हुआ वह औरत है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
कर प्रयत्न राखें सभी, मन को सदा प्रसन्न,
जो उदास रहते वही, सबसे अधिक विपन्न।
.......
वाद-विवाद न कीजिए, कबहूँ मूरख संग,
सुनने वाला ये कहे, दोनों के इक ढंग।
बहुत सुंदर दोहे कहे हैं महेंद्र जी. मज़ा आया और सीखने को मिला.
बढ़िया दोहे।
नीति के दोहे अच्छे लगे . आभार .
बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......
क्या बात है!!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 28-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-893 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
क्या बात है वर्मा जी , जिसकी इस भौतिक संसार में सबसे अधिक आवश्यकता है वह हंसी ही तो है..... आप के दोहों से मुखर सन्देश प्रवाहित हो रहा है .....
नहिं महत्व कोई मनुज, मरता है किस भाँति,
पर महत्व की बात यह, जीया है किस भाँति।
खुबसूरत और शाश्वत सन्देश देते दोहों का संग्रह अनुकरणीय .......
संदेशप्रद दोहे...
कर प्रयत्न राखें सभी, मन को सदा प्रसन्न,
जो उदास रहते वही, सबसे अधिक विपन्न।
सभी दोहे में जिन्दगी की बड़ी सीख है. आभार.
उन्नति चाहें आप तो, रखें न इनको रंच,
ईष्र्या-कटुता-द्वेष-भय, निंदा-नींद-प्रपंच।
बेहतरीन दोहे,सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
बहुत अच्छे सुझाव हैं आपके... मगर ये सब कौन अपना पाता है.. थोड़ी बहुत तो कमजोरी रहनी ही चाहिए इंसान में..:) वैसे दोहे बहुत बढिया हैं।
muskurahat mein chipi hain jeevan ki har khushi,
mushkilo mein himmat bandhati hain ye hasi
bahut badhia poem
thanks
http://drivingwithpen.blogspot.in/
जैसे हंसी अनमोल वैसे ही ये सीख अनमोल| जिंदगी का सही फलसफा दिखाते सूत्र, आभार|
गहन निराशा मौत से, अधिक है ख़तरनाक,
धीरे-धीरे जि़ंदगी, कर देती है ख़ाक।
सत्य वचन!
वाह क्या बात है हर एक दोहा अपने आप में बहुत कुछ कहता है सिखाता है बहुत ही सुंदर सार्थक प्रस्तुति।
जो जलते हैं अन्य से, अपना करते घात,
अपने मन को भूनकर, खुद ही खाए जात।
ईर्ष्या जिस मन में पनपती है विरोधी को नुकसान भले न पहुंचाए उस मन को ज़रूर ख़ाक कर देती है जिसमे अंकुरित पल्लवित होती है .यही हाल दुर्गुणों को पोषित करने से होता है मन का .
और यहाँ भी दखल देंवें -
ram ram bhai
सोमवार, 28 मई 2012
क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का नतीजा है ये ब्रेन फोगीनेस
http://veerubhai1947.blogspot.in/
कर प्रयत्न राखें सभी, मन को सदा प्रसन्न,
जो उदास रहते वही, सबसे अधिक विपन्न।
...सार्थक संदेश देते बहुत सुन्दर दोहे...
Sundar dohe.....
अनमोल दोहे..अति सुन्दर..
बहुत सही बातें है इन दोहों में छिपी शिक्षा
वाद-विवाद न कीजिए, कबहूँ मूरख संग,
सुनने वाला ये कहे, दोनों के इक ढंग।
बेहतरीन दोहे
वाद-विवाद न कीजिए, कबहूँ मूरख संग,
सुनने वाला ये कहे, दोनों के इक ढंग।
बहुत सुंदर दोहे, आभार .
हँसी बहुत अनमोल पर, मिल जाती बेमोल,
देती दिल की गाँठ को, आसानी से खोल।
Bahut Sunder
सारे दोहे नीति की शिक्षा देते हैं, पर मुझे खासकर ये दोनों बहुत ही अच्छे लगे
कर प्रयत्न राखें सभी, मन को सदा प्रसन्न,
जो उदास रहते वही, सबसे अधिक विपन्न।
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हँसी बहुत अनमोल पर, मिल जाती बेमोल,
देती दिल की गाँठ को, आसानी से खोल।
हँसी बहुत अनमोल पर, मिल जाती बेमोल,
देती दिल की गाँठ को, आसानी से खोल।
Awesome !
Very motivating and inspiring couplets.
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नीतिपरक दोहों के बेताज बादशाह को नमन.
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना...
अति सुन्दर:-)
वाह: बहुत बढ़िया दोहे..आभार
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