सहमे से हैं लोग न जाने किसका डर है,
यही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है।
दुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से,
अल्लामा को दुख सहते देखा अक्सर है।
सच कहते हैं लोग समय बलवान बहुत है,
रहा कोई महलों में लेकिन अब बेघर है।
हसरत भरी निगाहें तकतीं नील गगन में,
मगर कहां परवाज हो चुके हम बेपर हैं।
अच्छी सूरत वालों ने इतिहास बिगाड़ा,
सीरत जिसकी अच्छी बेशक वह सुंदर है।
मैं तो हूं बंदे का मालिक मेरा क्या है,
जहां नेह का दीप जले मेरा मंदर है।
मेरे मन की बात समझ न पाओगे तुम,
तेरे मेरे दुख में शायद कुछ अंतर है।
- महेन्द्र वर्मा
यही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है।
दुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से,
अल्लामा को दुख सहते देखा अक्सर है।
सच कहते हैं लोग समय बलवान बहुत है,
रहा कोई महलों में लेकिन अब बेघर है।
हसरत भरी निगाहें तकतीं नील गगन में,
मगर कहां परवाज हो चुके हम बेपर हैं।
अच्छी सूरत वालों ने इतिहास बिगाड़ा,
सीरत जिसकी अच्छी बेशक वह सुंदर है।
मैं तो हूं बंदे का मालिक मेरा क्या है,
जहां नेह का दीप जले मेरा मंदर है।
मेरे मन की बात समझ न पाओगे तुम,
तेरे मेरे दुख में शायद कुछ अंतर है।
- महेन्द्र वर्मा