हरियाली ने कहा देख लो मेरी यारी कुछ दिन और,
सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और ।
बाँस थामकर नाच रहा था छोटा बच्चा रस्सी पर,
दिखलाएगा वही तमाशा वही मदारी कुछ दिन और ।
हर मंजि़ल का सीधा-सादा रस्ता नहीं हुआ करता,
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी से कर लो यारी कुछ दिन और ।
अंधी श्रद्धा के बलबूते टिका नहीं व्यापार कभी,
बने रहो भगवान कपट से या अवतारी कुछ दिन और ।
ग़म के पौधों पर यादों की फलियाँ भी लग जाएंगी,
अहसासों से सींच सको ’गर उनकी क्यारी कुछ दिन और ।
सुकूँ नहीं मिलता है दिल को कीर्तन और अज़ानों से,
हमें सुनाओ बच्चों की खिलती किलकारी कुछ दिन और ।
तस्वीरों पर फूल चढ़ा कर गुन गाएंगे मेरे यार,
कर लो जितनी चाहे कर लो चुगली-चारी कुछ दिन और ।
-महेन्द्र वर्मा
सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और ।
बाँस थामकर नाच रहा था छोटा बच्चा रस्सी पर,
दिखलाएगा वही तमाशा वही मदारी कुछ दिन और ।
हर मंजि़ल का सीधा-सादा रस्ता नहीं हुआ करता,
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी से कर लो यारी कुछ दिन और ।
अंधी श्रद्धा के बलबूते टिका नहीं व्यापार कभी,
बने रहो भगवान कपट से या अवतारी कुछ दिन और ।
ग़म के पौधों पर यादों की फलियाँ भी लग जाएंगी,
अहसासों से सींच सको ’गर उनकी क्यारी कुछ दिन और ।
सुकूँ नहीं मिलता है दिल को कीर्तन और अज़ानों से,
हमें सुनाओ बच्चों की खिलती किलकारी कुछ दिन और ।
तस्वीरों पर फूल चढ़ा कर गुन गाएंगे मेरे यार,
कर लो जितनी चाहे कर लो चुगली-चारी कुछ दिन और ।
-महेन्द्र वर्मा
14 comments:
वाह - बहुत सुन्दर
समय-समय की बात होती है, एक सा समय कभी नहीं रहता ...इस नश्वर संसार में सब परिवर्तनशील है, फिर भी तेरे-मेरे के झमेले में हम सभी उलझे रहते हैं ....
बहुत सुन्दर प्रेरक रचना
बहुत सुन्दर रचना...
अंधी श्रद्धा के बलबूते टिका नहीं व्यापार कभी,
बने रहो भगवान कपट से या अवतारी कुछ दिन और ।
...वाह...सभी अशआर अबहुत उम्दा और सटीक...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
महेंद्र जी, आपकी यह रचना सुंदर है साथ ही असाधारण है. ये पंक्तियाँ एक नए विश्व का अहसास करा जाती हैं-
सुकूँ नहीं मिलता है दिल को कीर्तन और अज़ानों से,
हमें सुनाओ बच्चों की खिलती किलकारी कुछ दिन और ।
बहुत खूब, बहुत खूब, बहुत खूब!!!
ग़म के पौधों पर यादों की फलियाँ भी लग जाएंगी,
अहसासों से सींच सको ’गर उनकी क्यारी कुछ दिन और ।
बहुत सुंदर ग़ज़ल. एक एक शेर नायाब.
अपूर्व आनंद का अनुभव होता है यहां .
सही कहा आपने, बच्चों की किलकारियों में जो सकूँ मिलाता है वो अनमोल है ...
सही कहा आपने, बच्चों की किलकारियों में जो सकूँ मिलाता है वो अनमोल है ...
सही कहा आपने, बच्चों की किलकारियों में जो सकूँ मिलाता है वो अनमोल है ...
वर्मा सा.
बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढने को मिली. धन्य हुआ. मैं ख़ुद दूर हूँ इन दिनों..
कुछ उलझा हूँ सोच-फ़िक्र में जल्दी पाऊँगा फ़ुर्सत
फिर से ब्लॉग पे जमा करेगी दोस्ती-यारी, कुछ दिन और!
सादर!
सलिल जी, आत्मीयता के लिए आभार ।
सुन्दर शब्द रचना............ आभार
http://savanxxx.blogspot.in
शानदार रचना की प्रस्तुति। अपनी वेबसाइट पर ध्यान दीजिए। मेरा एंटीवायरस इसे हार्मफुल बता रहा है।
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