प्रकृति भली जग की जननी है

         (किशोरों के लिए गीत )



 प्रकृति भली, जग की जननी है 


सब प्राणी को देती जीवन 

यह रचती नदिया-पर्वत-वन,

भाँति -भाँति के अन्न-फूल-फल 

न्योछावर करती है हर पल,

  

सोच, दया करती कितनी है,

 प्रकृति भली, जग की जननी है



सुन्दरता  इसकी है न्यारी

    जल-थल-नभ में बिखरी सारी ,

चंदा-तारे-मछली-चिड़ियाँ

  फूलों की हँसती पंखुड़ियाँ ,

  

  सुन्दर सब धरती-अवनी है ,

   प्रकृति भली, जग की जननी है



 माँ-सी नेह लुटाती है यह 

   हम सब को दुलराती है यह, 

 कभी नहीं इस को दुःख देंगे

 हम सब इन का मान करेंगे,

       

  यही वत्सला माँ अपनी है, 

  प्रकृति भली, जग की जननी है 


  -महेन्द्र वर्मा