हरियाली ने कहा देख लो मेरी यारी कुछ दिन और,
सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और ।
बाँस थामकर नाच रहा था छोटा बच्चा रस्सी पर,
दिखलाएगा वही तमाशा वही मदारी कुछ दिन और ।
हर मंजि़ल का सीधा-सादा रस्ता नहीं हुआ करता,
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी से कर लो यारी कुछ दिन और ।
अंधी श्रद्धा के बलबूते टिका नहीं व्यापार कभी,
बने रहो भगवान कपट से या अवतारी कुछ दिन और ।
ग़म के पौधों पर यादों की फलियाँ भी लग जाएंगी,
अहसासों से सींच सको ’गर उनकी क्यारी कुछ दिन और ।
सुकूँ नहीं मिलता है दिल को कीर्तन और अज़ानों से,
हमें सुनाओ बच्चों की खिलती किलकारी कुछ दिन और ।
तस्वीरों पर फूल चढ़ा कर गुन गाएंगे मेरे यार,
कर लो जितनी चाहे कर लो चुगली-चारी कुछ दिन और ।
-महेन्द्र वर्मा
सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और ।
बाँस थामकर नाच रहा था छोटा बच्चा रस्सी पर,
दिखलाएगा वही तमाशा वही मदारी कुछ दिन और ।
हर मंजि़ल का सीधा-सादा रस्ता नहीं हुआ करता,
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी से कर लो यारी कुछ दिन और ।
अंधी श्रद्धा के बलबूते टिका नहीं व्यापार कभी,
बने रहो भगवान कपट से या अवतारी कुछ दिन और ।
ग़म के पौधों पर यादों की फलियाँ भी लग जाएंगी,
अहसासों से सींच सको ’गर उनकी क्यारी कुछ दिन और ।
सुकूँ नहीं मिलता है दिल को कीर्तन और अज़ानों से,
हमें सुनाओ बच्चों की खिलती किलकारी कुछ दिन और ।
तस्वीरों पर फूल चढ़ा कर गुन गाएंगे मेरे यार,
कर लो जितनी चाहे कर लो चुगली-चारी कुछ दिन और ।
-महेन्द्र वर्मा