देश हमारा

,
आलोकित हो दिग्दिगंत, वह दीप जलाएं,
देश हमारा झंकृत हो, वह साज बजाएं।


जन्म लिया हमने, भारत की पुण्य धरा पर,
सकल विश्व को इसका गौरव-गान सुनाएं।


कभी दूध की नदियां यहां बहा करती थीं,
आज ज्ञान-विज्ञान-कला की धार बहाएं।


अनावृत्त कर दे रहस्य जो दूर करे भ्रम,
ऐसे सद्ग्रंथों का रचनाकार कहाएं।


गौतम से गांधी तक सबने इसे संवारा,
आओ मिल कर और निखारें मान बढ़ाएं।


भाग्य कुपित है कहते, जो हैं बैठे ठाले,
कर्मशील कर उनको जीवन-गुर सिखलाएं।


कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
धरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।

                                                                    -महेंद्र वर्मा