आश्विन के अंबर में
रंगों की टोली,
सूरज की किरणों ने
पूर दी रंगोली।
नेह भला अपनों का,
मीत बना सपनों का,
संध्या की आंखों में
चमकती ठिठोली।
आश्विन के अंबर में,
रंगों की टोलीं।
उष्णता पिघलती है,
आस नई खिलती है,
आने को आतुर है,
शीतलता भोली।
सूरज की किरणों ने
पूर दी रंगोली।
-महेंद्र वर्मा