स्वामी रामतीर्थ


                   कौन थे वे ?

‘मेरे लिए तो वृक्ष की छाया मकान का काम दे सकती है,राख मेरी पोशाक का, सूखी धरती मेरे बिस्तर का और दो-चार घरों से मांगी रोटी मेरे भोजन का।‘
उक्त बातें मिशन कॉलेज लाहौर के गणित के एक प्रोफेसर ने सन् 1896 में एक पत्र में लिखी थी। ....कौन थे वे ?
एक बार उनका नाम प्रांतीय सिविल सेवा के लिए प्रस्तावित किया गया तो उन्होंने अस्वीकार कर दिया। नौकरी छोड़कर उर्दू में ‘अलिफ‘ नाम की पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया। विभिन्न तीर्थों की यात्राएं कीं। भारतीय और पाश्चात्य दर्शन ग्रंथों का अध्ययन किया। द्वारकापीठ के शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद के संपर्क में आए।
........कौन थे वे ?
सन् 1900 ई. में तीर्थयात्रा के दौरान अपने पास की सारी संपत्ति गंगा में बहा दी।
पत्नी को परिजनों के सहारे छोड़कर सन्यास ग्रहण किया और हिमालय की शरण में चले गए। सर्वधर्म सम्मेलन में व्याख्यान देने अमेरिका और जापान की यात्राएं कीं।.....कौन थे वे ?
अनेक लेखों-व्याख्यानों के अतिरिक्त उन्होंने अंग्रेजी में 100 और उर्दू में 150 कविताएं लिखीं। संयोग देखिए- 22 अक्टूबर, 1873 ई. को दीपावली के दिन पंजाब के गुजरांवाला जिले के मुरारीवाला गांव में उनका जन्म हुआ और 17 अक्टूबर, 1906 ई. को दीपावली के ही दिन मात्र 33 वर्ष की आयु में उन्होंने गंगा में जल समाधि ग्रहण कर ली।......कौन थे वे ?
वे महान विभूति थे- प्रसिद्ध विद्वान, संत, दार्शनिक, गणितज्ञ, और कवि स्वामी रामतीर्थ।

प्रस्तुत है, उर्दू में उनकी एक दार्शनिक भावों वाली कविता-

जब उमड़ा दरिया उल्फ़त का, हर चार तरफ आबादी है।
हर रात नई इक शादी है, हर रोज मुबारकबादी है।
ख़ुश ख़ंदा है रंगा गुल का, ख़ुश शादी शाह मुरादी है।
बन सूरज आप दरफ़्शां है, ख़ुद जंगल है,ख़ुद वादी है।
नित राहत है, नित फ़र्हत है, नित रंग नए, आजादी है।


हर रग रेशे में हर मू में, अमृत भर-भर भरपूर हुआ।
सब कुल्फ़त दूरी दूर हुई, मन शादी मर्ग से चूर हुआ।
हर बर्ग बधाइयां देता है, हर जर्रा-जर्रा तूर हुआ।
जो है सो है अपना मजहर, ख़्वाह आबी नारी बादी है।
क्या ठंडक है, क्या राहत है, क्या शादी है, आजादी है।


रिमझिम रिमझिम आंसू बरसें, यह अब्र बहारें देता है।
क्या खूब मजे की बारिश में, वह लुत्फ़ वस्ल का लेता है।
किश्ती मौजों में डूबे हैं, बदमस्त उसे कब खेता है।
यह गर्क़ाबी है जी उठना, मत झिझको उफ बरबादी है।
क्या ठंडक है क्या राहत है, क्या शादी है, आजादी है।


मातम, रंजूरी, बीमारी, गलती, कमजोरी, नादारी।
ठोकर ऊंचा नीचा मिहनत, जाती है इन पर जां वारी।
इन सब की मददों के बाइस, चश्मा मस्ती का है जारी।
गुम शीर की शीरीं तूफों में, कोह और तेशा फरहादी है।
क्या ठंडक है क्या राहत है, क्या शादी है, आजादी है।


इस मरने में क्या लज़्ज़त है, जिस मुंह की चाट लगे इसकी।
थूके हैं शाहंशाही पर, सब नेमत दौलत हो फीकी।
मय चहिए दिल सिर दे फूंको,और आग जलाओ भट्ठी की।
क्या सस्ता बादा बिकता है, ले लो का शोर मुनादी है।
क्या ठंडक है क्या राहत है, क्या शादी है, आजादी है।


दिन शब का झगड़ा न देखा, गो सूरज का चिट्ठा सिर है।
जब खुलती दीद-ए-रौशन है,हंगामा-ए-ख़्वाब कहां फिर है।
आनंद सरूर समंदर है, जिसका आगाज़ न आख़िर है।
सब राम पसारा दुनिया का, जादूगर की उस्तादी है।
नित राहत है नित फ़र्हत है, नित रंग नए, आजादी है।

27 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति..आभार पूज्य रामतीर्थ जी से परिचय कराने का.

ashish said...

बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुति.. पूज्य रामतीर्थ जी से परिचय कराने का आभार.

राज भाटिय़ा said...

आप का आभार पूज्य रामतीर्थ जी के बारे बतलाने का. धन्यवाद

मदन शर्मा said...

प्रसिद्ध विद्वान, संत, दार्शनिक, गणितज्ञ, और कवि स्वामी रामतीर्थ के बारे में दुर्लभ जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद ऐसे लोग विरले ही होते हैं

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

समय चक्र said...

जब उमड़ा दरिया उल्फ़त का, हर चार तरफ आबादी है।
हर रात नई इक शादी है, हर रोज मुबारकबादी है।

prerak prastuti...abhaar

Rakesh Kumar said...

रामतीर्थ जी के बारे में पढकर बहुत अच्छा लगा.आपने जिस ढंग से प्रस्तुति की वह भी बहुत रोचक लगी.आभार.

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

महेंद्र जी इस सत्कर्म के लिए सादर अभिवादन

Sushil Bakliwal said...

ऐतिहासिक शख्सियत स्वामी रामतीर्थ की कविता और उनके बारे में विस्तृत परिचय आपके द्वारा प्रस्तुत अच्चा लगा । आभार सहित...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रेरणादायक पोस्ट ..बहुत अच्छी लगी

Sunil Kumar said...

सार्थक पोस्ट ,प्रसिद्ध विद्वान, संत, दार्शनिक, गणितज्ञ, और कवि स्वामी रामतीर्थ के बारे में दुर्लभ जानकारी देने के लिए आभार.....

ZEAL said...

रिमझिम रिमझिम आंसू बरसें, यह अब्र बहारें देता है।
क्या खूब मजे की बारिश में, वह लुत्फ़ वस्ल का लेता है...

Lovely lines !

Thanks for introducing us with this great poet .

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Amit Chandra said...

आदरणीय सुनिल जी की बातो से सहमत।

मनोज कुमार said...

आपके संकलन में एक से एक रत्न हैं। और ये दौलत आप खुशी-खुशी लुटा रहे हैं। हम दरिद्र थे, अब नहीं रहे। ...
अद्भुत!
आभार आपका।
(इस बार अर्थ/सार-संक्षेप नहीं दिया)

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

आज तो बस प्रिय मनोज जी के उदगार उधार ले रहा हूँ ..महेंद्र जी, इसे ही मेरी भी अभिव्यक्ति मानी जाए :
आपके संकलन में एक से एक रत्न हैं। और ये दौलत आप खुशी-खुशी लुटा रहे हैं। हम दरिद्र थे, अब नहीं रहे। ...
अद्भुत!
आभार आपका।

Udan Tashtari said...

आपका आभार....

संजय @ मो सम कौन... said...

स्वामी रामतीर्थ के व्यक्तित्व का यह पहलू हमारे लिये अनजाना था। आभार सर।

udaya veer singh said...

bhavatmak mohak rachana achhi lagi , abhar ji .

Kunwar Kusumesh said...

रामतीर्थ जी के बारे में पढकर बहुत अच्छा लगा.

Satish Saxena said...

स्वामी रामतीर्थ भारत माँ के सुपुत्र थे जिन्हें पाकर हम गौरवशाली कहलाये !
पढवाने के लिए आभार आपका भाई जी !
सादर

जयकृष्ण राय तुषार said...

बड़े भाई महेंद्र वर्मा जी नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और अपने देश के मनीषियों से परिचित कराकर आप सराहनीय कार्य कर रहे हैं |इस महान संत के बारे में जानकर भी अच्छा लगा बधाई और शुभकामनाएं |

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

स्वामी रामतीर्थ के बारे में जानकारी देने का आभार ....

उनकी अलमस्त कविता का क्या कहना !

डॉ. मोनिका शर्मा said...

पूज्य रामतीर्थ जी से परिचय कराने और अर्थपूर्ण रचना पढवाने का आभार

दिगम्बर नासवा said...

स्वामी रामतीर्थ जी के बारे में जानना बहुत ही अच्छा लगा ... धन्यवाद इस भावपूर्ण गीत के लिए भी ...

Bharat Bhushan said...

स्वामी रामतीर्थ ने उर्दू में इस प्रकार की बहर में लिखा होगा, पहली बार में विश्वास नहीं हुआ. लेकिन दार्शनिक उक्तियों ने समझा दिया. आपको आभार.

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुति..

Amrita Tanmay said...

पहली नजर में मुझे भी विश्वास नहीं हुआ कितना कम जानते हैं हम अपने महान लोगों के विषय में..आभार