जल से काया शुद्ध हो, सत्य करे मन शुद्ध,
ज्ञान शुद्ध हो तर्क से, कहते सभी प्रबुद्ध।
धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,
सारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।
ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,
जहाँ नदी में गहनता, जल अति थिर अरु धीर।
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
अंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
मात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।
यों समझें अज्ञान को, जैसे मन की रात,
जिसमें न तो चाँद है, न तारे मुसकात।
-महेन्द्र वर्मा
39 comments:
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
अंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
all lines are vrry beautiful
and very very near to heart
and life ,we should follow these
I LOVE IT .PLEASE MAIL THESE
FOR COLLECTION.
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
यों समझें अज्ञान को, जैसे मन की रात,
जिसमें न तो चाँद है, न तारे मुसकात।
bahut sundar dohe
धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,
सारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।
Bahut Sunder
अंतर की आवाज सुनने वाले को कुछ और भाता ही नहीं है फिर|
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
मात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।
बिना इनके प्रति सम्मान के जीवन व्यर्थ है। ये ही जिनहोंने जीवन को सही दिशा दी।
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।... इसे खींचकर लम्बा क्यूँ बनाना
दोहे सारे आपके , ज्ञान रतन भंडार
पाठकगण के वास्ते, हैं अनुपम उपहार
हैं अनुपम उपहार,नीति और रीति सिखाते
संस्कार, सद्भाव और आध्यात्म बताते
अंतर की आवाज जगे,मन सत्य ही मोहे
ज्ञान रतन भंडार, आपके सारे दोहे.
सारगर्भित बातें बहुत सुन्दर रूप
से प्रस्तुत की हैं आपने.दिल को
सकून मिलता है पढकर.अनुपम प्रस्तुति
के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
बहुत सुन्दर वाह!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-865 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत सुन्दर वाह!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-865 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
मात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।
सच है ...सच रहेगा ..
शुभकामनायें !
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
वाह..............
बहुत बहुत सुंदर
सादर.
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
अंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
....बहुत खूब! सार्थक संदेश देते बहुत सुंदर दोहे...
ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,
जहाँ नदी में गहनता, जल अति थिर अरु धीर।
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
सारे दोहे बहुत सुंदर ....
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
अंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
सुंदर ज्ञानवर्धक दोहे ....
आभार...
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान
मात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान
बहुत सुन्दर भाव ... आभार
जीवन का सार है आपकी रचना में..
धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,
सारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।
सार्थक सन्देश ...
एक से बढ़कर एक दोहों द्वारा जीवन दर्शन कराती इस प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत आभार महेंद्र जी।
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
मात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।....
महेंद्र जी, यह आज के समय में जरुरी अपील अपने की है.... वर्तमान पीढ़ी कब उनका निर्माण करने वालों को ठोकर मर दे कह नहीं सकते... संस्कारों की बड़ी कमी आ गयी है समाज में...
' ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,'
- ज्ञान का गहन गांभीर्य है आपकी उक्तियों में !
वाह, बहुत बढ़िया दोहे!!
....बहुत खूब! सार्थक संदेश देते बहुत सुंदर दोहे...
बहुत ही सुंदर, पठनीय, संकलनीय और अनुकरणीय प्रस्तुति ।
यों समझें अज्ञान को, जैसे मन की रात,
जिसमें न तो चाँद है, न तारे मुसकात।
बहुत सौदेश्य शैर हैं , ग़ज़ल के सारे के , सारे सार्थक इतने, जितने आसमान में तारे .
कृपया यहाँ भी पधारें
सोमवार, 30 अप्रैल 2012
सावधान !आगे ख़तरा है
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http://veerubhai1947.blogspot.in/
रविवार, 29 अप्रैल 2012
परीक्षा से पहले तमाम रात जागकर पढने का मतलब
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रविवार, 29 अप्रैल 2012
महिलाओं में यौनानद शिखर की और ले जाने वाला G-spot मिला
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वाह क्या बात है सर, बहुत खूब...हर एक पंक्ति लजावाब है। प्रभावशाली रचना
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
अंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
नीति निर्देशक दोहे. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
bahut khub lajavab aur behtarin rachana....
एक से बढ़कर एक मनके काढ अतिसुन्दर रचना सजाया आपने..
धारण करने योग्य अनुसरणीय सीख...
खुशनुमा जीवन के अनमोल नुस्खे ......
आभार!
aapke blog ke naam ke anuroop he hoti hain aapki shandaar rachnayein..sadar badhayee aaur amantran ke sath
नीति के दोहे सर्वथा उपयुक्त और विचारणीय . सुँदर .
बहुत सार्थक और सुन्दर दोहे...आभार
bahut sundar abhivyakti..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति.
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
कहा जाता है कि मृत्यु अटल है. कैसे अटल है आपके इस दोहे ने उसे कह दिया है. यह वह टलना है जो वास्तव में अटल है. बहुत सुंदर दोहे देने के लिए आभार महेंद्र जी.
सभी दोहे बीस हैं सर....
सादर.
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