जख़्म सीने में पलेगा उम्र भर,
गीत बन-बन कर झरेगा उम्र भर।
घर का हर कोना हुआ है अजनबी,
आदमी ख़ुद से डरेगा उम्र भर।
जो अंधेरे को लगा लेते गले,
नूर उनको क्या दिखेगा उम्रं भर।
दिल के किस कोने में जाने कब उगा,
ख़्वाब है मुझको छलेगा उम्र भर।
कर रहा कुछ और कहता और है,
वो मुखौटा ही रखेगा उम्र भर।
छल किया मैंने मगर नेकी समझ,
याद वो मुझको करेगा उम्र भर।
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
-महेन्द्र वर्मा
39 comments:
घर का हर कोना हुआ है अजनबी,
आदमी ख़ुद से डरेगा उम्र भर।
छल किया मैंने मगर नेकी समझ,
याद वो मुझको करेगा उम्र भर।
बहुत खूबसूरत गजल ... ज़िंदगी की सच्चाई को कहती हुई
वाह बहुत सुन्दर गज़ल
वाह...
बहुत सुन्दर गज़ल...
घर का हर कोना हुआ है अजनबी,
आदमी ख़ुद से डरेगा उम्र भर।
दिल ने चाहा कि खत्म ही न हों शेर.....
सादर
ग़ज़ल मन को बहुत भा गई
दिल के किस कोने में जाने कब उगा,
ख़्वाब है मुझको छलेगा उम्र भर।
क्या बात है महेंद्र जी. दिल की कई बातें इस ग़ज़ल ने कहीं हैं.
बहुत ही बेहतरीन गजल है...
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
बेहतरीन पंक्तिया...
:-)
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
बहुत बेहतरीन सुंदर गजल ,,,,,
RECENT POST ,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
बहुत खूब ... बेहतरीन प्रस्तुति।
छल किया मैंने मगर नेकी समझ,
याद वो मुझको करेगा उम्र भर।
Very impressive..
.
जख़्म सीने में पलेगा उम्र भर,
गीत बन-बन कर झरेगा उम्र भर।
बहुत खूबसूरत ख्याल... सुन्दर ग़ज़ल के लिए आभार आपका
छल किया मैंने मगर नेकी समझ,
याद वो मुझको करेगा उम्र भर।
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
अद्भुत भाव समेटे लाइन जहाँ हम खुद से बाते करते है ...
हमेशा की तरह लाजवाब ...बारीक़ संवेदनाओं की झड़ी के लिए बधाई
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
सार्थक ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
आशा |
बढ़िया प्रस्तुति भाई जी |
बधाई स्वीकारें ||
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
उम्र भर लिखें भाई साहब ,उम भर छप रहा है हर जगह .
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
उम्र भर लिखें भाई साहब ,उम भर छप रहा है हर जगह .
sundar ghazal
आपकी ग़ज़ल से गुज़रना एकदम नए अनुभव से गुज़रना है क्योंकि इसमें यथार्थ इकहरा नहीं है, बल्कि यहां आज के जटिलतम यथार्थ को उघाड़ते अनेक स्तर हैं।
वही सादगी और गहराई फिर से दिखी, जिसके हम मुरीद हैं|
जो अंधेरे को लगा लेते गले,
नूर उनको क्या दिखेगा उम्रं भर....
सार्थक सन्देश देते सभी शेर...
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बेहतरीन रचना - राम राम वर्मा जी
दंतैल हाथी से मुड़भेड़
सरगुजा के वनों की रोमांचक कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ पढिए पेसल फ़ुरसती वार्ता,"ये तो बड़ा टोईंग है !!" ♥
♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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कर रहा कुछ और कहता और है,
वो मुखौटा ही रखेगा उम्र भर।
sahi kaha hai har pankti sundar ...
BAHUT HI SUNDAR RACHANA ....BADHAI SIR.
apki rachana jisne padha nahi
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
आपके माध्यम से यथार्थ से रु-ब-रु होना अलग ही अहसास देती है..
घर का हर कोना हुआ है अजनबी,
आदमी ख़ुद से डरेगा उम्र भर।
....लाज़वाब ! बेहतरीन गज़ल...
बेहतरीन गज़ल...
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ...
कर रहा कुछ और कहता और है,
वो मुखौटा ही रखेगा उम्र भर।
Bahut Umda...
वाह!
जो अंधेरे को लगा लेते गले,
नूर उनको क्या दिखेगा उम्रं भर।
कर रहा कुछ और कहता और है,
वो मुखौटा ही रखेगा उम्र भर।
bahut badhiya
दिल के किस कोने में जाने कब उगा,
ख़्वाब है मुझको छलेगा उम्र भर।
...... बेहतरीन !!!
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
गज़ल में इतना सुंदर सन्देश निहित है जो इसके भावपक्ष प्रबल बनाता है.
बधाई.
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।..
बहुत खूब .... हर शेर कुछ कहता हुवा ... लाजवाब गज़ल है सुभान अल्ला ...
घर का हर कोना हुआ है अजनबी,
आदमी ख़ुद से डरेगा उम्र भर।
वक़्त की परवाह जिसने की नहीं,
हाथ वो मलता रहेगा उम्र भर।
खूबसूरत ग़ज़ल...सत्य और संदेश का संगम|
दिल के किस कोने में जाने कब उगा,
ख़्वाब है मुझको छलेगा उम्र भर।
कर रहा कुछ और कहता और है,
वो मुखौटा ही रखेगा उम्र भर।
बहुत ही खूबसूरत गज़ल, वाह !!!!!!!!!!
वर्मा जी
अच्छी और नाज़ुक एहसासात से रची बसी रचना...
दिल के किस कोने में जाने कब उगा,
ख़्वाब है मुझको छलेगा उम्र भर।
यूँ तो पूरी ग़ज़ल उम्दा मगर ये शेर खास काबिले दाद है.
अच्छी रचना
बहुत उम्दा गजल...
सादर.
मन को प्रभावित करती सुंदर गजल ,,,,,
RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
कालोSस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो
काल या वक़्त भगवान की ही तो विभूति है.
बहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति.
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