किसे कहोगे बुरा-भला है,
हर दिल में तो वही ख़ुदा है।
खोजो उस दाने को तुम भी,
जिस पर तेरा नाम लिखा है।
शायद रोया बहुत देर तक,
उसका चेहरा निखर गया है।
ख़ून भले ही अलग-अलग हो,
आँसू सबका एक बहा है।
उसने दी है मुझे दुआएँ,
सब कुछ भला-भला लगता है।
गीत प्रकृति का कभी न गाया,
इतने दिन तक व्यर्थ जिया है।
धूप-हवा-जल-धरती-अंबर,
सबके जी में यही बसा है।
-महेन्द्र वर्मा