दिल ही हूं मजबूर रहा हूं,
इसीलिए मशहूर रहा हूं।
चलता आया उसी लीक पर,
दुनिया का दस्तूर रहा हूं।
नए दौर में सच्चाई का,
चेहरा हूं, बेनूर रहा हूं।
वो नज़दीक बहुत हैं मेरे,
जिनसे अब तक दूर रहा हूं।
चोट लगी तो फूल झरे हैं,
मैं भी इक संतूर रहा हूं।
कहते हैं सब कभी किसी की,
आंखों का मैं नूर रहा हूं।
अब मुझको आना न जाना,
मैं तो बस मग़्फ़ूर रहा हूं।
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संतूर- एक वाद्ययंत्र
मग़्फ़ूर-जिसे मोक्ष प्राप्त हो गया हो
-महेंद्र वर्मा