नसीब को हैं कोसते अजीब लोग हैं,
यूं ज़िदगी गुजारते, अजीब लोग हैं।
हमने कहा जो हां मगर, उसने कहा नहीं,
हर बात को नकारते, अजीब लोग हैं।
मरना है एक दिन ये जानते हुए भी वो,
सांसें उधार मांगते अजीब लोग हैं।
भीतर भरा हुआ फरेब छल कपट मगर,
ऊपर बदन संवारते, अजीब लोग हैं।
जिनका न कभी इल्म से नाता रहा कोई,
वो फलसफे बघारते, अजीब लोग हैं।
कुछ ने कहा ख़ुदा है, कुछ ने कहा नहीं,
बेकार वक़्त काटते, अजीब लोग हैं।