बंद होती सभी खिड़कियां देखिए,
ढा रही हैं कहर आंधियां देखिए।
याद मुझको करे कोई्र ऐसा नहीं,
आ रही हैं मगर हिचकियां देखिए।
भीड़ को फिर कोई आश्वासन मिला,
बज रही हैं उधर तालियां देखिए।
चल रहे थे मेरी रहनुमाई में जो,
आज गिनते रहे गलतियां देखिए।
जल चुकी हैं मगर ऐंठ बाक़ी रही,
राख सी हो चुकी रस्सियां देखिए।
किस अदा से पसीना दिखाता असर,
खेत में झूमती बालियां देखिए।
रंग फीके लगें ज़िंदगी के अगर,
बाग़ में उड़ रही तितलियां देखिए।
-महेन्द्र वर्मा