अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
प्रात स्नान कर दिनकर निकला,
छुपा क्षणिक आनन को दिखला,
संध्या के आंचल में लाली
वीर बहूटी दहके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,
जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
-महेंद्र वर्मा
नीर झरे रह-रह के।
प्रात स्नान कर दिनकर निकला,
छुपा क्षणिक आनन को दिखला,
संध्या के आंचल में लाली
वीर बहूटी दहके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,
जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
-महेंद्र वर्मा
40 comments:
मौसम के मिज़ाज़ों को पिरोए सुंदर रचना. इस मौसम में भली प्रकार से संप्रेषित हुई है.
बढि़या अभिव्यक्ति, (बेहतर फोटो).
Bahut khub ..Is barish ke mosum anusaar ..
मौसम के अनुरूप बेहतरीन नवगीत के लिये वर्मा जी को बधाई।
जीवन सदाबहार ही रहना चाहिए
दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ||
बहुत बधाई ||
जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
बहुत सुंदर नवगीत ....
वर्षा रानी का बड़ा ही मनमोहक चित्रण .मानवीकरण प्रकृति का .सुन्दर बिम्ब विधान .
मनभावन रचना!
वर्षागमन का मनोहारी सन्देश...
बहुत सुन्दर नवगीत ...आज तो दिल्ली में बारिश भी हो रही है ..
कुछ नयापन सा है इस निर्मल रचना में .... ! हार्दिक शुभकामनायें !!
प्रकृति और दर्शन एक साथ इस नवगीत में!! वर्मा साहब,आपके आनन के भी नूतन दर्शन हुए!!
ऐसी रचना को पढ़कर मन तृप्त हो जाता है.शब्दों से भावों में उतरना सुखद लगता है.
आपकी रचना पढ़कर मन प्रफुलित हो गया .....आभार
नवगीतों के मामले में आपका जवाब नहीं।
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बहुत बढ़िया नवगीत पढ़ने को मिला.आभार.
मौसम के अनुकूल नव गीत ... बहुत सुन्दर ...
जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
bahut sundar prakritik varnan.aabhar itne sundar prikriti varnan ke liye .
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
नव बिम्बों से सजा सुन्दर नवगीत .....
मौसम और जिंदगी....भावपूर्ण चित्रण
बहुत ही मनोहारी उत्कृष्ट प्रकृति चित्रण..आभार
naveen upmaon se varsha ko vibhooshit kiya hai aapne .bahut sundar bhavabhivyakti .aabhar .
अति सुन्दर
नवगीत का क्या कहना, आपकी सधी कलम से एक और सोना निकला है। पर जो कहना चाहता हूं वह यह कि मुझे यह प्रयोग बहुत भाया --- “हरा-हरा तृण महके।”
घास की सौंधी महक घास पर लोटाने वाले ही जाने ... !
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Beautiful creation Mahendra ji. The expressions are very appealing and impressive.
You are looking gorgeous in this new pic .
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सुँदर मनभावन वर्षा गीत . आभार .
संध्या के आंचल में लाली
वीर बहूटी दहके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
बहुत सुन्दर नवगीत
बरसात के महीने में सामयिक कविता रची...अम्बर के नैना बरसाए !
varsh ritu ko sajivta ke sath darshata dil ko choo lene walaa pyara navgeet,,, mahendra ji hardik badhayi
आपका जवाब नहीं... बहुत खूबसूरत नवगीत.....वर्मा जी
अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
"दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा"
ये श्वेत-श्याम रंगों का संयोजन ही है जो जीवन को जीवंत रखता है, न तो सब जड़ हो जाये।
शब्दों की अद्भुत संयोजना, भावों की कुशल चित्रकारी और प्रवाह तो ऐसा जैसा कोई शांत नदी कल-कल कर बह रही हो| इस नवगीत ने दिल गार्डेन गार्डेन कर दिया सर जी|
कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
bahut sunder geet hai man aanandit hogay
bahut badhai
rachana
शब्दों की तूलिका से गीत में प्रकृति को उतार लिया है.उत्कृष्ट प्रकृति-चित्रण.
ओह...आनंद आ गया इस सरस अद्वितीय गीत को पढ़कर...
बहुत बहुत आभार रसास्वादन का सुअवसर देने के लिए...
सुन्दर बिम्ब विधान से युक्त नवगीत।
Very sweet and enchanting lines
आपकी रचनाओं का आस्वादन हर मर्तबा एक अलग स्वाद बोध कराता है स्वाद -इन्द्रियों को .आभार आपके प्रोत्साहन के लिए .
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