बहुत सुंदर कविताएँ. वर्तमान की अदृष्य-सी क्षणिकता को पहली कविता कहती है तो दूसरी कविता 'काली किरणों की बारिश' का एक नया बिंब दे कर उदासी को परिभाषित करती है. बहुत ख़ूब महेंद्र जी.
बहुत सुंदर कविताएं हैं। इन छोटी कविताओं में तो अंतरिक्ष सा विस्तार है .. चिंतन की उर्वरा धरती से उपजी ये कविताएं सचमुच वाह कहने पर विवश करती हैं। बधाई...।
37 comments:
सुंदर क्षणिकाएं .....गहरी अभिव्यक्ति .....
''बताओ भला
कहां है
वर्तमान !!''
- क्षितिज पर.
क्षणिकाओं में बिम्ब का अद्भुत प्रयोग!
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद
sab kee apnee apnee nazar
kisi ke man mein kaalee baarish mein bhee aanand
kisiko rone se hee fursat nahee
umdaa
बहुत सुंदर कविताएँ. वर्तमान की अदृष्य-सी क्षणिकता को पहली कविता कहती है तो दूसरी कविता 'काली किरणों की बारिश' का एक नया बिंब दे कर उदासी को परिभाषित करती है. बहुत ख़ूब महेंद्र जी.
बेहद अच्छी क्षणिकाएं
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं…………बेहतरीन बिम्ब प्रयोग्।
बहुत सुंदर .. गहन
अद्भुत बिम्ब प्रयोग...
सुन्दर क्षनिकाएं..
सादर.
गहन अभिव्यक्ति...
बेहतरीन क्षणिकएँ...
बेहतरीन बिम्ब प्रयोग्.......
Verma ji bahut hi sundar kshanikayen,,,,, sach hai Vartman ka abhas to ho hi nahi pata hai ...sadar abhar.
आनंद की बारिश है यहां तो.
बेहतरीन प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
बहुत सुंदर
एक क्षण में भूत और भविष्य की संधि पर वर्त्तमान की झलक... और काली किरणों की बारिश तो अद्भुत है!! बहुत सुन्दर वर्मा साहब!!
बेहतरीन भाव!!
वाह ...
बहुत सुन्दर!!!!
बहुत सुंदर कविताएं हैं। इन छोटी कविताओं में तो अंतरिक्ष सा विस्तार है .. चिंतन की उर्वरा धरती से उपजी ये कविताएं सचमुच वाह कहने पर विवश करती हैं। बधाई...।
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं
नवीनता का स्वाद मिलता है आपके ब्लॉग पर... सादर
सुन्दर भाव लिए क्षणिकाएं|
आशा
वाह
बहुत उम्दा।
चंद शब्दों में समाया समुंद्र।
gagar me sagar
सुंदर क्षणिकाएं
गहन अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर क्षणिकाएं...
अद्भुत!
बेहतरीन क्षणिकएँ गहन अभिव्यक्ति के साथ.
1. शायद घटित होने के क्षण-भंगुर क्षण में ...?
2. काली किरणों की बारिश में भीगने का भी अलग ही आनंद होता है.
दोनों ही क्षणिकायें अनूठी और गम्भीर....
1.
घटनाएं
भविष्य के अनंत आकाश से
एक-एक कर उतरती हैं
और
क्षण भर में घटित होकर
समा जाती हैं
अतीत के महापाताल में
बताओ भला
कहां है
वर्तमान !!
सुन्दर है क्षणिकाओं का संसार वर्तमान का पंख लगाकर व्यतीत हो जाना .
kya prastuti hai......
-उदास हो
-नहीं
बस यूं ही
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं
विचार कणिकाओं के भाव सागर में एक के बाद एक डुबकी लगाते रहिये .
बहुत सुंदर रचना,भावपूर्ण अभिव्यक्ति,....
MY NEW POST ...कामयाबी...
सब कुछ इतनी जल्दी अतीत बन खो जाता है की जीवन की क्षणभंगुरता भयावह लगने लगती है ।
शानदार क्षणिकाएँ.
एक और एक दो नहीं
एक और एक ग्यारह.
अनुपम प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार.
वर्तमान तो सचमुच वाही है जिसका जीवन पल मात्र ही है ...
दूसरी क्षणिका बहुत ही खूबसूरत है.. न्यूनतम शब्दों में बेहतरीन भाव
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