क्षणिकाएं



1.
घटनाएं
भविष्य के अनंत आकाश से
एक-एक कर उतरती हैं
और
क्षण भर में घटित होकर
समा जाती हैं
अतीत के महापाताल में

बताओ भला
कहां है
वर्तमान !!


2.
-उदास हो
-नहीं
बस यूं ही
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं


                         -महेन्द्र वर्मा

37 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर क्षणिकाएं .....गहरी अभिव्यक्ति .....

Rahul Singh said...

''बताओ भला
कहां है
वर्तमान !!''
- क्षितिज पर.

मनोज कुमार said...

क्षणिकाओं में बिम्ब का अद्भुत प्रयोग!
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद

Nirantar said...

sab kee apnee apnee nazar
kisi ke man mein kaalee baarish mein bhee aanand
kisiko rone se hee fursat nahee

umdaa

Bharat Bhushan said...

बहुत सुंदर कविताएँ. वर्तमान की अदृष्य-सी क्षणिकता को पहली कविता कहती है तो दूसरी कविता 'काली किरणों की बारिश' का एक नया बिंब दे कर उदासी को परिभाषित करती है. बहुत ख़ूब महेंद्र जी.

रश्मि प्रभा... said...

बेहद अच्छी क्षणिकाएं

vandana gupta said...

काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं…………बेहतरीन बिम्ब प्रयोग्।

M VERMA said...

बहुत सुंदर .. गहन

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

अद्भुत बिम्ब प्रयोग...
सुन्दर क्षनिकाएं..
सादर.

ऋता शेखर 'मधु' said...

गहन अभिव्यक्ति...

nilesh mathur said...

बेहतरीन क्षणिकएँ...

Sunil Kumar said...

बेहतरीन बिम्ब प्रयोग्.......

Naveen Mani Tripathi said...

Verma ji bahut hi sundar kshanikayen,,,,, sach hai Vartman ka abhas to ho hi nahi pata hai ...sadar abhar.

राजेश सिंह said...

आनंद की बारिश है यहां तो.

प्रेम सरोवर said...

बेहतरीन प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

sm said...

बहुत सुंदर

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

एक क्षण में भूत और भविष्य की संधि पर वर्त्तमान की झलक... और काली किरणों की बारिश तो अद्भुत है!! बहुत सुन्दर वर्मा साहब!!

Udan Tashtari said...

बेहतरीन भाव!!

vidya said...

वाह ...
बहुत सुन्दर!!!!

dinesh gautam said...

बहुत सुंदर कविताएं हैं। इन छोटी कविताओं में तो अंतरिक्ष सा विस्तार है .. चिंतन की उर्वरा धरती से उपजी ये कविताएं सचमुच वाह कहने पर विवश करती हैं। बधाई...।

Vandana Ramasingh said...

काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं

नवीनता का स्वाद मिलता है आपके ब्लॉग पर... सादर

Asha Lata Saxena said...

सुन्दर भाव लिए क्षणिकाएं|
आशा

Arun sathi said...

वाह
बहुत उम्दा।
चंद शब्दों में समाया समुंद्र।

Anamikaghatak said...

gagar me sagar

avanti singh said...

सुंदर क्षणिकाएं

Kailash Sharma said...

गहन अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर क्षणिकाएं...

अनुपमा पाठक said...

अद्भुत!

रचना दीक्षित said...

बेहतरीन क्षणिकएँ गहन अभिव्यक्ति के साथ.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

1. शायद घटित होने के क्षण-भंगुर क्षण में ...?
2. काली किरणों की बारिश में भीगने का भी अलग ही आनंद होता है.
दोनों ही क्षणिकायें अनूठी और गम्भीर....

virendra sharma said...

1.
घटनाएं
भविष्य के अनंत आकाश से
एक-एक कर उतरती हैं
और
क्षण भर में घटित होकर
समा जाती हैं
अतीत के महापाताल में

बताओ भला
कहां है
वर्तमान !!
सुन्दर है क्षणिकाओं का संसार वर्तमान का पंख लगाकर व्यतीत हो जाना .

mridula pradhan said...

kya prastuti hai......

virendra sharma said...

-उदास हो
-नहीं
बस यूं ही
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं
विचार कणिकाओं के भाव सागर में एक के बाद एक डुबकी लगाते रहिये .

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर रचना,भावपूर्ण अभिव्यक्ति,....

MY NEW POST ...कामयाबी...

ZEAL said...

सब कुछ इतनी जल्दी अतीत बन खो जाता है की जीवन की क्षणभंगुरता भयावह लगने लगती है ।

Rakesh Kumar said...

शानदार क्षणिकाएँ.

एक और एक दो नहीं
एक और एक ग्यारह.

अनुपम प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार.

दिगम्बर नासवा said...

वर्तमान तो सचमुच वाही है जिसका जीवन पल मात्र ही है ...

दीपिका रानी said...

दूसरी क्षणिका बहुत ही खूबसूरत है.. न्यूनतम शब्दों में बेहतरीन भाव