आशा ऐसी वस्तु है, मिलती सबके पास,
पास न हो कुछ भी मगर, हरदम रहती आस।
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
सुनी कभी तो जायगी, दुखियारे की टेर,
ईश्वर के घर देर है, नहीं मगर अंधेर।
शत्रु नहीं यदि आपका, समझें यह संकेत,
भुला दिया है भाग्य ने, न जाने किस हेत।
प्रेम अध्ययन से करें, सद्ग्रंथों का साथ,
सब विषाद को मोद में, बदलें अपने हाथ।
पाने की यदि चाह है, इतना करें प्रयास,
देना पहले सीख लें, सब कुछ होगा पास।
अवसर का उपयोग जो, करता सोच विचार,
है प्रतिभाशाली वही, कहता समय पुकार।
-महेन्द्र वर्मा
40 comments:
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
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शत्रु नहीं यदि आपका, समझें यह संकेत,
भुला दिया है भाग्य ने, न जाने किस हेत।
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वर्मा साहब! ये दो दोहे मेरे जीवन का दर्शन बन गए हैं... आने वाली पीढ़ी के लिए विरासत!! आभार आपका!
बहुत बढ़िया..सार्थक दोहे..
पाने की यदि चाह है, इतना करें प्रयास,
देना पहले सीख लें, सब कुछ होगा पास।
लाजवाब.
सादर.
dohe prasangik hai
गहरा उतरता शब्द-शब्द..आपका आभार |
अवसर का उपयोग जो, करता सोच विचार,
है प्रतिभाशाली वही, कहता समय पुकार।
नीति नेर्देशक दोहे बहुत सुंदर हैं. समय का सदुपयोग बहुत जरूरी है. सुंदर प्रस्तुति.
खूबसूरत दोहे. यह दोहा
'शत्रु नहीं यदि आपका, समझें यह संकेत,
भुला दिया है भाग्य ने, न जाने किस हेत।'
चौंकाने वाला साबित हुआ. बहुत सुंदर.
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।... इसे समझकर ही जीवन का सुख है !
शत्रु नहीं यदि आपका, समझें यह संकेत,
भुला दिया है भाग्य ने, न जाने किस हेत।... रास्तों की पहचान तभी होती है
बहुत ही अच्छी सीख देते हुए दोहे.... सुंदर प्रस्तुति.
पुरवईया : आपन देश के बयार- कलेंडर
पाने की यदि चाह है, इतना करें प्रयास,
देना पहले सीख लें, सब कुछ होगा पास।
DADA AAPASE PRATI PAL NAYA HI MILATA
HAI .AAPAKA AABHAR
सुन्दर और प्रेरक दोहे ।
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
बहुत सुंदर संदेश देती रचना|
वाह !!!! नीतिपरक दोहे.............
महेंद्र जी हर दोहा जीवन में आत्मसात करने योग्य.
सीख देते दोहे...
सार्थक और खूबसूरत दोहे |
सुन्दर संदेश देते सार्थक दोहे।
ग्रहणीय जीवन-दर्शन !
सार्थक सन्देश देते बहुत सुंदर दोहे...
प्रेम अध्ययन से करें, सद्ग्रंथों का साथ,
सब विषाद को मोद में, बदलें अपने हाथ।
पाने की यदि चाह है, इतना करें प्रयास,
देना पहले सीख लें, सब कुछ होगा पास।
सकारात्मक सोच को पुनर्बलित करती रचना .
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
Above couplet is very useful for me. Will keep it in mind always. Thanks Sir.
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बहुत प्रेरणा दायक दोहे.बधाई आपको.
बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन, बधाई.
सारे दोहे एक से बढकर एक है.
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 06-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
Sach me ...Bahut Sunder Sandesh Dete Dohe...
एक सच्चाई को व्यक्त करते दोहे ...क्या खूबसूरत संयोजन है वाह !!!!!!
vah bahut khoob....aabhar
साधु-साधु
हर शब्द दिल मे उतर रहा है अर्थ की गहराई लिए...बहुत सुन्दर सार्थक दोहे...आभार..
bahut shaandar dohe.आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
bahut khoob vaah.
प्रेम अध्ययन से करें, सद्ग्रंथों का साथ,
सब विषाद को मोद में, बदलें अपने हाथ।
पाने की यदि चाह है, इतना करें प्रयास,
देना पहले सीख लें, सब कुछ होगा पास।
gagar me sagar bhar diya hai apne Verma ji.....bahut hi sundar aur bahut hi sateek...sadar abhar.
सार्थक दोहे--
खूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई ।
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
सटीक और सार्थक दोहे ...
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/02/blog-post_08.html
kahin gahrayee tak utarte shabd..!
bahut khubsurat!!
पाने की यदि चाह है, इतना करें प्रयास,
देना पहले सीख लें, सब कुछ होगा पास।
Kya gazab likha hai!
bahut khoob
shandar dohe
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार ११-२-२०१२ को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ,
एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ।
विषय का चुनाव बहुत बढ़िया है संग्रहणीय दोहे
जीवन में उतार ले ये दोहे तो जीवन सुफल हो .
प्रेम अध्ययन से करें, सद्ग्रंथों का साथ,
सब विषाद को मोद में, बदलें अपने हाथ।
वाह! अनुपम,बेमिशाल लेखन है आपका.
विषाद योग की अनुपम सीख दी है आपने.
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