ज़रा-ज़रा
इंसाँ
होने से मन को सुकून मिलना तय है]
अगर
देवता बन बैठे तो हरदम दोष निकलना तय है ।
सूरज
गिरा क्षितिज के नीचे सुबह
सबेरे फिर चमकेगा]
चलने
वालों का ही गिरना उठना फिर से चलना तय है ।
जब
अतीत की गहराई से यादों
का लावा-सा निकले]
मन
में जमी भावनाओं का गलना और पिघलना तय है ।
जहाँ-जहाँ ढूँढ़ोगे
उसको अपना
ही साया देखोगे]
ख़ुद
से अलग समझते हो तो इस यक़ीन में छलना तय है ।
बातों
का है यही फ़़लसफ़ा रपटीली होती हैं अक्सर]
समझ
गए तो सँभल गए पर चूके अगर फिसलना तय है ।